Edited By Harman Kaur,Updated: 22 Mar, 2025 03:36 PM

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शनिवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि फडणवीस का प्रशासन मुगल शासक औरंगजेब के समान है। इससे पहले भी उनके इस बयान पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने नाराजगी जताई...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शनिवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि फडणवीस का प्रशासन मुगल शासक औरंगजेब के समान है। इससे पहले भी उनके इस बयान पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने नाराजगी जताई थी और इसे मुख्यमंत्री का अपमान बताया था।
कांग्रेस नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग
सत्तारूढ़ दल ने इस बयान को विधानसभा में उठाया और सपकाल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। वहीं, संवाददाताओं से बातचीत में सपकाल ने महाराष्ट्र में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य को एक पूर्णकालिक गृह मंत्री की जरूरत है।
सपकाल ने राज्य में बढ़ते अपराधों पर सरकार को घेरा
सपकाल ने राज्य में बढ़ते अपराधों का जिक्र करते हुए कहा कि बीड में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या कर दी गई। पुणे में एक महिला के साथ दुष्कर्म हुआ। परभणी में हिंसा भड़की। बीड में पुलिस प्रशासन पूरी तरह फेल है। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था तुगलकी शासन जैसी हो गई है और वे अपने बयान पर कायम हैं कि फडणवीस का शासन औरंगजेब की तरह है।
पुणे की संस्कृति पर खतरा और ड्रग्स माफिया का मुद्दा
सपकाल ने आरोप लगाया कि कुछ लोग पुणे की संस्कृति को नष्ट करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात से भारी मात्रा में मादक पदार्थ (ड्रग्स) पुणे आ रहा है, लेकिन पुलिस इस गठजोड़ की जांच नहीं कर रही।
फडणवीस से गृह मंत्री पद छोड़ने की मांग
कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में पूर्णकालिक गृह मंत्री की जरूरत है। चूंकि गृह विभाग खुद मुख्यमंत्री फडणवीस के पास है, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
रविंद्र धांगेकर के शिवसेना में शामिल होने पर प्रतिक्रिया
जब उनसे पूर्व कांग्रेस विधायक रविंद्र धांगेकर के शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने पर सवाल पूछा गया, तो सपकाल ने कहा –
"जिसे तीन बार चुनाव लड़ने का मौका मिला (विधानसभा उपचुनाव, लोकसभा चुनाव और 2024 में विधानसभा चुनाव), वह फिर भी सत्ता के पीछे भाग रहा है। अब विचारधारा का कोई महत्व नहीं रह गया है।"