Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 31 Mar, 2025 12:20 PM

इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और मेघालय हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तरुण अग्रवाल का रविवार को मुंबई में निधन हो गया। कुछ दिन पहले एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उनका इलाज चल रहा था।
नेशनल डेस्क: इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और मेघालय हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तरुण अग्रवाल का रविवार को मुंबई में निधन हो गया। कुछ दिन पहले एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। दो दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले मुंबई में सुबह टहलने के दौरान न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल को एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में उनके सिर में गंभीर चोटें आई थीं, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रविवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
न्यायिक सेवाओं में शानदार योगदान
न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल का जन्म 3 मार्च 1956 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता सतीष चंद्र अग्रवाल भी एक वरिष्ठ न्यायाधीश थे और इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। तरुण अग्रवाल ने अपनी कानूनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की और 1983 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। उनके कुशल न्यायिक कार्य को देखते हुए उन्हें 7 जनवरी 2004 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
उत्तराखंड और मेघालय हाई कोर्ट में भी निभाई अहम भूमिका
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2009 में उन्हें उत्तराखंड हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया, जहां उन्होंने 2012 तक कार्य किया।
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उत्तराखंड में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
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इसके बाद उन्हें फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा गया, जहां उन्होंने हाई कोर्ट की 150वीं वर्षगांठ समारोह आयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
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12 फरवरी 2018 को उन्हें मेघालय हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने न्यायिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए।
सेवानिवृत्ति के बाद भी निभा रहे थे अहम जिम्मेदारी
सेवानिवृत्ति के बाद भी न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल सक्रिय रहे। उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण, मुंबई का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया था। इसके अलावा, वे पं. कन्हैया लाल मेमोरियल कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे थे। उनके निधन से न्यायिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
उत्तर प्रदेश में 582 न्यायिक अधिकारियों का तबादला
इसी बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली के आदेश पर प्रदेश में 582 न्यायिक अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है।
इनमें शामिल हैं:
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236 एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज
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207 सिविल जज (सीनियर डिवीजन)
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139 सिविल जज (जूनियर डिवीजन)
रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी अधिसूचना में सभी अधिकारियों के प्रत्यावेदन पर विचार करने के बाद स्थानांतरण किए गए हैं। यह वार्षिक ट्रांसफर 2025 का हिस्सा है।
न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल के निधन पर शोक
न्यायिक क्षेत्र के कई दिग्गजों ने न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनके सहयोगियों और पूर्व अधिवक्ताओं ने उन्हें एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और निष्पक्ष न्यायाधीश के रूप में याद किया। उनके निधन से देश की न्यायिक व्यवस्था को एक गंभीर क्षति पहुंची है। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।