Edited By Parminder Kaur,Updated: 13 Feb, 2025 05:27 PM
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पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मशहूर कन्नड़ लोक गायिका सुकरी बोम्मागौड़ा का गुरुवार तड़के उनके घर पर निधन हो गया। वह 91 साल की थीं। सुकरी बोम्मागौड़ा कर्नाटक के अंकोला इलाके की हलाक्की वोक्कालिगा जनजाति से थीं। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं और हाल...
नेशनल डेस्क. पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मशहूर कन्नड़ लोक गायिका सुकरी बोम्मागौड़ा का गुरुवार तड़के उनके घर पर निधन हो गया। वह 91 साल की थीं। सुकरी बोम्मागौड़ा कर्नाटक के अंकोला इलाके की हलाक्की वोक्कालिगा जनजाति से थीं। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं और हाल ही में मंगलुरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं।
5,000 से ज्यादा लोकगीत गाए
सुकरी बोम्मागौड़ा को 5,000 से ज्यादा लोकगीतों का संग्रह और जनजातीय संगीत परंपराओं को सहेजने के लिए जाना जाता है। उन्हें 2006 में हम्पी विश्वविद्यालय के नादोजा पुरस्कार, 2017 में पद्मश्री और जनपद श्री जैसे कई सम्मान मिले थे।
शराब विरोधी आंदोलन में भी रहीं सक्रिय
![PunjabKesari](https://static.punjabkesari.in/multimedia/17_27_040143653singer.jpg)
सुकरी बोम्मागौड़ा ने अपने गांव में शराब की बिक्री के खिलाफ बड़े आंदोलन का नेतृत्व भी किया था। उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए लोकगीतों का सहारा लिया।
मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने जताया शोक
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा- "सुकरी जी का जीवन संगीत को समर्पित था। उनके जाने से सांस्कृतिक जगत को बड़ी क्षति हुई है।" उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने उन्हें 'लोक संगीत की कोकिला' बताया। केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा- "उन्होंने हलाक्की गीतों से शराबबंदी जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाई। उनका निधन राज्य की सांस्कृतिक और लोक संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है।"