Edited By Mahima,Updated: 09 Nov, 2024 10:11 AM
गुजरात के अमरेली जिले के पाडरशिंगा गांव के किसान संजय पोलरा ने अपनी 2006 में खरीदी 'लकी कार' को खेत में समाधि दी। उन्होंने गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली और पंडितों की उपस्थिति में शास्त्र विधि से कार को दफन किया। इस मौके पर करीब 2000 लोगों को...
नेशनल डेस्क: गुजरात के अमरेली जिले के एक छोटे से गांव में एक किसान ने अपनी लकी कार को बड़े श्रद्धा भाव से समाधि दे दी। यह घटना न केवल गांववासियों के लिए, बल्कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। अमरेली के लाठी तहसील के पाडरशिंगा गांव में रहने वाले किसान संजय पोलरा ने अपनी कार को खेत में समाधि दी। इस अवसर पर उन्होंने एक भव्य समारोह का आयोजन किया, जिसमें करीब 1500 लोग शामिल हुए।
लकी कार की साधना: किस्मत बदलने का किमती सफर
संजय पोलरा का मानना है कि जब से उन्होंने 2006 में अपनी यह कार खरीदी थी, उनकी किस्मत बदल गई। खेती में सुधार आया, उत्पादन बढ़ा और आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। संजय पोलरा के अनुसार, यह कार उनके लिए सिर्फ एक वाहन नहीं थी, बल्कि यह उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गई थी। उनके मुताबिक, इस कार के कारण ही उनके जीवन में तरक्की हुई थी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ी। पोलरा की यह कार उनकी शुभ-संकेत जैसी थी और उन्होंने यह तय किया कि वे इसे बेचने या किसी म्यूजियम में रखने के बजाय हमेशा के लिए यादगार बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसे समाधि देने का विचार किया और गांववालों के साथ इसे खेत में दफन करने का मन बनाया।
शोभायात्रा और धार्मिक विधि से समाधि का अनोखा आयोजन
संजय पोलरा ने अपनी लकी कार को फूलों से सजाया और उसे गाजे-बाजे के साथ खेत तक ले जाया। इस अवसर पर एक शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसमें कार के साथ पारंपरिक ध्वनियां और संगीत गूंजते रहे। कार को खेत में एक गहरे गड्ढे में दफन किया गया, जहां पंडित की मौजूदगी में शास्त्र विधि से इसे समाधि दी गई। कार की समाधि देते समय गांववासियों ने मंत्रोच्चार भी किए। इस पूरी प्रक्रिया को देखनी के लिए आसपास के लोग भी बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए।
दावत का आयोजन और आमंत्रण कार्ड
समाधि देने के इस खास मौके पर संजय पोलरा ने अपने परिवार, दोस्तों और गांववालों के अलावा करीब 2000 लोगों को आमंत्रित किया। इसके लिए उन्होंने एक विशेष चार पन्नों का आमंत्रण कार्ड भी भेजा था। इस कार्यक्रम में सभी को पूड़ी, रोटी, लड्डू, सब्जी जैसे स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद चखाया गया। गांव के लोग इस आयोजन में शामिल होकर उत्साहित थे और उन्होंने इस तरह के अनोखे आयोजन की सराहना की। उनका मानना था कि यह संजय पोलरा का अपनी किस्मत के प्रति आभार जताने का तरीका है, जो दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
किसान का संदेश: कड़ी मेहनत और विश्वास से बदल सकती है किस्मत
संजय पोलरा का कहना है कि जीवन में कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद यदि किसी के पास कड़ी मेहनत और सच्चा विश्वास हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। उनकी लकी कार ने न सिर्फ उनके जीवन को बदलने में मदद की, बल्कि यह उनके परिवार और गांव के लिए भी गर्व का विषय बन गई। इस प्रकार का आयोजन न केवल गांव के लोगों के लिए एक यादगार घटना बन गया, बल्कि यह इस बात का प्रतीक बन गया कि एक किसान अपनी मेहनत और विश्वास से किस्मत को बदल सकता है। संजय पोलरा का यह कदम उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में याद किया जाएगा।
समाधि की इस परंपरा से जुड़ी विशेष बातें
यह घटना एक अनोखे दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी चीज़ों से जुड़ी भावना और आस्था को महत्व देता है। समाधि देना अब एक परंपरा के रूप में देखा जाता है, जिसमें किसी की प्रिय वस्तु को सम्मान के साथ हमेशा के लिए यादगार बना दिया जाता है। संजय पोलरा ने यह साबित किया कि चाहे वह किसी व्यक्ति का सामान हो या कोई वाहन, अगर वह किसी के जीवन में बड़ा बदलाव लाता है, तो उसे सम्मान मिलना चाहिए। यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि हर व्यक्ति की जीवन यात्रा में कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जो सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। संजय पोलरा ने अपनी लकी कार के माध्यम से एक नई परंपरा की शुरुआत की है, जो आने वाले समय में भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन सकती है।