Edited By Vikas kumar,Updated: 24 Jan, 2019 05:58 PM
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भारत स्वाभिमान आंदोलन के पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की मौत से जुड़ी फाइलें 9 साल बाद फिर से खुलने वाली हैं। पीएम ऑफिस ने दुर्ग पुलिस को आदेश जारी किया है कि मामले की...
रायपुर: भारत स्वाभिमान आंदोलन के पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की मौत से जुड़ी फाइलें 9 साल बाद फिर से खुलने वाली हैं। पीएम ऑफिस ने दुर्ग पुलिस को आदेश जारी किया है कि मामले की जांच नए सिरे से की जाए। विदेशी उत्पादों के खिलाफ आवाज उठाने वाले राजीव दीक्षित एक समय बाबा रामदेव के बेहद करीबियों में से एक थे। राजीव दीक्षित की मौत इत्तेफाक से उसी दिन हुई थी जिस दिन उनका जन्मदिन था।
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राजीव दीक्षित 2009 में आए बाबा रामदेव के संपर्क में
राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1967 को यूपी के अलीगढ़ में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने इलाहाबाद में ही बीटेक के दौरान अपने कुछ साथियों और टीचर्स के साथ मिलकर 'आजादी बचाओ आंदोलन' की शुरुआत की थी। उन्होंने जिद कर ली थी कि अब भारत को विदेशी सामान से मुक्त कराना है। जब राजीव दीक्षित सीएसआईआर में थे तो उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी उन्होंने काम किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2009 में वे बाबा रामदेव के संपर्क में आए थे। अकसर इस बात का दावा किया जाता है कि उन्होंने ही रामदेव को देश से जुड़ी मूल समस्याओं और कालेधन के बारे में अवगत करवाया था। जिससे रामदेव बहुत प्रभावित हुए और दोनों साथ में काम करने के लिए सहमत हो गए।
राजीव दीक्षित मृत्यु: शव का पोस्टमार्टम न होना बना प्रश्न चिन्ह ?
राजीव दीक्षित की मौत 29 नवंबर 2010 की रात छत्तीसगढ़ के भिलाई के बीएसआर अपोलो अस्पताल में हुई थी। डाक्टरों के अनुसार उनकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया जाता है। लेकिन इस पर हमेशा ही सवाल भी उठते रहे हैं। भारत स्वाभिमान आंदोलन के जनक राजीव दीक्षित स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता थे और पूरे देश में दौरे कर इस विषय के बारे में लोगों को बताते थे। विदेशी कंपनियों के उत्पादों का विरोध करने के कारण उनकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक बन चुकी थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौत के बाद राजीव का शव नीला पड़ गया था। ऐसे में हार्टअटैक से मौत बताए जाने व पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर आज भी सवाल खड़े होते हैं।