Edited By Rahul Singh,Updated: 13 Feb, 2025 04:37 PM
![finance minister nirmala sitharaman introduced new income tax bill](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_16_37_069149437nirmlasitharaman-ll.jpg)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। सदन में विधेयक पेश किए जाने का तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने...
नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। सदन में विधेयक पेश किए जाने का तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। लेकिन सदन ने ध्वनिमत से इसे पेश करने की मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को नए आयकर विधेयक को मंजूरी दी थी, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा।
वित्त मंत्री ने सदस्यों की आपत्तियों के बीच विधेयक सदन में प्रस्तुत किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। समिति अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सीतारमण ने अध्यक्ष से प्रस्तावित समिति के गठन और नियमों पर भी निर्णय लेने का आग्रह किया। विधेयक पेश किये जाने पर कुछ विपक्षी सदस्यों के ऐतराज पर वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने ये बात गलत कही है कि नये विधेयक में मौजूदा आयकर कानून की तुलना में अधिक धाराएं हैं। उन्होंने कहा कि 1961 में पारित मौजूदा कानून में कुछ ही धाराएं थीं और इतने सालों में इसमें किए गए बदलावों के बाद अब इसमें 819 धाराएं हैं।
प्रस्तावित नए कानून में केवल 536 धाराएं
सीतारमण ने कहा कि प्रस्तावित नए कानून में केवल 536 धाराएं हैं। वित्त मंत्री ने विधेयक पेश किए जाने के विरोध में तृणमूल कांग्रेस सदस्य सौगत राय की दलील को भी खारिज कर दिया। नया विधेयक प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में आसान बनाने और कोई नया कर बोझ नहीं डालने की एक कवायद है। इसमें प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। नए विधेयक की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में की थी। छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाला नया आयकर विधेयक प्रत्यक्ष कर कानूनों को पढ़ने-समझने में आसान बनाएगा, अस्पष्टता दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा। नया अधिनियम उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही इसकी भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे कर विशेषज्ञों की सहायता के बिना समझ सकेंगे।