मोदी सरकार में 10 वर्षों में 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले आईटीआर पांच गुना बढ़े

Edited By Rahul Rana,Updated: 14 Nov, 2024 01:53 PM

five fold jump in itr filers with income above rs 50 lac in last 10 yrs

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में, 20 लाख रुपये से कम कमाने वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ कम हुआ है, जबकि 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों से कर संग्रह में काफी वृद्धि हुई है। आयकर रिटर्न के आंकड़ों के...

नेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में, 20 लाख रुपये से कम कमाने वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ कम हुआ है, जबकि 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों से कर संग्रह में काफी वृद्धि हुई है। आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आंकड़ों के मुताबिक, 50 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय दिखाने वाले व्यक्तियों की संख्या 2023-24 में 9.39 लाख से अधिक हो गई है, जो 2013-14 में महज 1.85 लाख थी। यानी यह संख्या पांच गुना बढ़ी है। इसके साथ ही, 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वालों की आयकर देनदारी भी बढ़ी है। 2014 में इन लोगों द्वारा चुकाए गए कुल कर की राशि 2.52 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2024 में बढ़कर 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

मध्यम वर्ग पर कर का बोझ हुआ कम 

सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में एकत्र किए गए कुल आयकर का 76 प्रतिशत उन लोगों से लिया जा रहा है, जिनकी वार्षिक आय 50 लाख रुपये से अधिक है। इससे मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है।

कर चोरी और काले धन पर सख्ती

सूत्रों का कहना है कि 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में वृद्धि मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए सख्त कर चोरी और काले धन विरोधी कानूनों के कारण हुई है। इन कानूनों ने ज्यादा लोगों को कर प्रणाली के तहत लाने में मदद की है।

छूट और कटौतियों के कारण मध्यम वर्ग को राहत

2014 में, सालाना 2 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों को आयकर देना पड़ता था। हालांकि, मोदी सरकार ने विभिन्न छूटों और कटौतियों की घोषणा की, जिसके बाद 7 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को अब कोई आयकर नहीं देना पड़ता। इस कदम से मध्यम वर्ग को बहुत राहत मिली है।

10 लाख से कम आय वाले करदाताओं से कर संग्रह में कमी

एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ कि 10 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं से आयकर संग्रह का प्रतिशत 2014 में 10.17 प्रतिशत था, जो अब 2024 में घटकर 6.22 प्रतिशत रह गया है। इसका मतलब है कि अब मध्यम और निम्न आय वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है।

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