अध्ययन में खुलासा: भारत में पांच फीसदी बच्चों और किशोरों के गुर्दे रोग ग्रसित

Edited By Mahima,Updated: 08 Jul, 2024 04:08 PM

five percent of children in india suffer from kidney disease

भारत में पांच फीसदी और बच्चे और किशोर गुर्दे (किडनी) के रोगों से ग्रसित हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि बच्चों और किशोरों के गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं और समय बीतने के साथ यह बीमारी क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का रूप धारण कर लेती है।

नेशनल डेस्क: भारत में पांच फीसदी और बच्चे और किशोर गुर्दे (किडनी) के रोगों से ग्रसित हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि बच्चों और किशोरों के गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं और समय बीतने के साथ यह बीमारी क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का रूप धारण कर लेती है। यह राष्ट्रव्यापी अध्ययन बठिंडा और विजयपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हैल्थ इंडिया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। इस नए अध्ययन को स्प्रिंगर लिंक नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

24,690 बच्चों और किशोरों पर किया गया अध्ययन
रिपोर्ट के मुताबिक यह अध्ययन 2016 से 2018 के बीच पांच से 19 वर्ष की आयु के 24,690 बच्चों और किशोरों के राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण पर आधारित है। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि भारत में बच्चे और किशोर प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर लगभग 49,000 यानी  4.9 प्रतिशत खराब किडनी फंक्शन की समस्या से पीड़ित हैं। रिपोर्ट में अध्ययन के हवाले से कहा कि मुख्य समस्याओं में ग्रामीण निवास, माताओं की शिक्षा में कमी और शारीरिक विकास न हो पाना या बौनापन शामिल हैं। इन कारणों से निपट कर बाल स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सबसे अधिक प्रभावित
अध्ययन में कहा गया है कि पुरुषों और ग्रामीण क्षेत्रों में किडनी की खराब कार्यप्रणाली का प्रचलन सबसे अधिक पाया गया है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उसके बाद तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक मामले सामने आए, जबकि तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, राजस्थान और केरल में यह प्रचलन सबसे कम था। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक भारतीय बच्चों और किशोरों में किडनी की खराब कार्यप्रणाली के इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे से निपटना जरूरी है। अध्ययन में किडनी के रोगों से ग्रसित लोगों तक पहुंच बनाने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य में बाल चिकित्सा किडनी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया है।

क्रोनिक किडनी रोग से बचने के उपाय
शोधकर्ताओं ने बच्चों में क्रोनिक किडनी रोग से बचने के तरीके भी सुझाए हैं, इसमें नियमित जांच और मूत्र परीक्षण करना भी शामिल है, क्योंकि इससे किडनी रोग का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। रोग के बढ़ने को रोकने के लिए शुरुआती हस्तक्षेप बहुत जरूरी है। स्वस्थ एवं संतुलित आहार जिसमें सोडियम, फास्फोरस और पोटेशियम कम हो, किडनी के काम को सुचारू बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही बच्चों को फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ज्यादा चीनी और नमक वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और स्नैक्स से बच्चों को दूर रखने की भी जरूरत है। बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और पानी भी दिया जाने चाहिए, जिससे उनकी किडनी सही तरीके से काम कर सकें।  

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