Edited By Yaspal,Updated: 29 Sep, 2024 10:01 AM
बिहार में वाल्मीकि नगर एवं बीरपुर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ का संकट और अधिक गहरा जाने के साथ गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है।
पटनाः बिहार में वाल्मीकि नगर एवं बीरपुर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ का संकट और अधिक गहरा जाने के साथ गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है। बाढ़ के कारण प्रदेश के 13 जिलों की 1.41 लाख आबादी प्रभावित हुई है। राज्य जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने शनिवार अपराह्न दो बजे तक कोसी नदी पर बने बीरपुर बैराज से कुल 5.31 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो पिछले 56 वर्षों में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए सभी सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं। पिछली बार इस बैराज से अधिकतम पानी 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था।
खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां
इसी तरह, अपराह्न दो बजे तक गंडक नदी पर बने वाल्मीकि नगर बैराज से 4.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पिछली बार इस बैराज से सबसे अधिक पानी वर्ष 2003 में 6.39 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद राज्य भर में कई नदियों-गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा तथा गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर नदियां खतरे के निशान को छू रही हैं या उससे ऊपर बह रही हैं।"
अधिकारियों ने बताया कि इन दो बैराजों से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद नदी का अतिरिक्त पानी पश्चिमी चंपारण के जोगापट्टी, नौतन, गौनाहा, बगहा-1, बगहा-2, रामनगर, मझौलिया और नरकटियागंज ब्लॉक तथा पूर्वी चंपारण के कई इलाकों के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया। बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) ने कई जिलों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया है क्योंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भारी बारिश की आशंका जताई है और राज्य के कुछ हिस्सों में कम से मध्यम स्तर की बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी है।
डीएमडी द्वारा शनिवार की शाम जारी एक बयान के अनुसार गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण प्रभावित सभी 13 जिलों (यथा पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया एवं मधुबनी) के 20 प्रखण्डों में 140 ग्राम पंचायतों के अन्तर्गत लगभग 1.41 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है जिसको ध्यान में रखते हुए अगले कुछ दिनों तक जलस्तर पर लगातार निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है।
बिहार में जारी लगातार बारिश के कारण बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर समेत गंगा के किनारे बसे करीब 12 जिलों में पहले से ही बाढ़ जैसी स्थिति है और मूसलाधार बारिश के बाद प्रदेश की विभिन्न नदियों का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में रहने वाले करीब 13.50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में लोगों के लिए बाढ़ मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप राहत शिविर एवं सामुदायिक रसोई का संचालन किया जा रहा है। आईएमडी के अनुसार 29 सितंबर की सुबह तक बिहार की सभी नदियों के जल ग्रहण क्षेत्रों में हल्की वर्षा होने की संभावना है। शनिवार को सुबह 8.30 बजे तक राज्य के विभिन्न इलाकों में 780.30 मिलीमीटर बारिश हुई।
फसलें हुईं बर्बाद
डीएमडी ने बाढ़ प्रभावित जिलों के प्रशासन को अलर्ट रहने और पूर्वानुमान के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाने को कहा है। अप्रत्याशित बाढ़ से जूझ रहे उत्तर बिहार के किसानों की हजारों एकड़ में खड़ी खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिसमें धान, मखाना और सब्जियां शामिल हैं। सबौर (भागलपुर) कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डीआर सिंह ने कहा, "किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि बाढ़ ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 1.05 एकड़ क्षेत्र में तैयार किए जा रहे बीजों को नुकसान पहुंचाया है।
वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के लिए अगले सीजन के लिए विभिन्न फसलों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज तैयार किए जा रहे थे। यह पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।" इस बीच, राजधानी में जयप्रकाश नारायण सेतु के पास बाढ़ प्रभावित लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एम्स-पटना के कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी के प्रमुख डॉ. संजीव कुमार की ओर से नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन के अनुभवी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की टीम मौजूद है। कुमार ने कहा कि उनका उद्देश्य इस कठिन समय में बाढ़ प्रभावित लोगों की सेवा करना है।