Edited By Tanuja,Updated: 02 Oct, 2024 02:18 PM
भारत और पाकिस्तान के हालिया घटनाक्रम में एक बड़ा अंतर तब दिखाई दिया जब जम्मू और कश्मीर में शांतिपूर्ण विधानसभा चुनावों का...
International Desk: भारत और पाकिस्तान के हालिया घटनाक्रम में एक बड़ा अंतर तब दिखाई दिया जब जम्मू और कश्मीर में शांतिपूर्ण विधानसभा चुनावों का आयोजन हुआ और दूसरी तरफ पाकिस्तान के स्वात इलाके में विदेशी राजनयिकों पर हमला हुआ। जम्मू और कश्मीर में एक दशक बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, और दूसरे चरण में 57.31% मतदान दर्ज किया गया। यह चुनाव 2019 में भारतीय सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद से हो रहे हैं। चुनावों का सफलतापूर्वक आयोजन भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से तब जब यह क्षेत्र दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का केंद्र रहा है।
भारत ने 15 विदेशी राजनयिकों को चुनावों का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया था, जिसमें मैक्सिको, कोरिया, सोमालिया, स्पेन, सिंगापुर, नाइजीरिया, फिलीपींस, तंजानिया, नॉर्वे, पनामा, अल्जीरिया, रवांडा और दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधि शामिल थे। यह दौरा यह दर्शाता है कि भारत की नीति में एक बड़ा बदलाव आया है, जो पहले इस क्षेत्र में विदेशी हस्तक्षेप से बचता था। भारतीय सरकार की सुरक्षा व्यवस्था और शांतिपूर्ण चुनाव आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है, खासकर जब हाल ही में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों की घटनाएं भी सामने आई थीं। लेकिन इन चुनावों ने यह दिखा दिया कि जनता अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहती है, और आगे के चरणों के चुनावों में भी यही उम्मीद की जा रही है।
पाकिस्तान में स्वात का इलाका वर्षों से आतंकवाद का गढ़ रहा है, और हाल ही में विदेशी राजनयिकों के काफिले पर हमला इस बात का ताजा उदाहरण है कि देश में सुरक्षा स्थिति कितनी गंभीर है। यह हमला रविवार को हुआ, जब विदेशी राजनयिक एक व्यापार बैठक में शामिल होने जा रहे थे। इस हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई, लेकिन राजनयिक बाल-बाल बच गए। इस काफिले में रूस, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, बोस्निया, वियतनाम, इथियोपिया, रवांडा, ज़िम्बाब्वे, इंडोनेशिया और पुर्तगाल के राजनयिक शामिल थे। इस हमले ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद की बढ़ती समस्या पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि की पुष्टि अमेरिकी सरकार की 2022 की रिपोर्ट से भी होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में पाकिस्तान में आतंकवादी हमले और उससे जुड़ी हत्याएं 2021 के मुकाबले ज्यादा थीं। आतंकवादी समूह जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA), और ISIS-K सक्रिय रूप से पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में हमले कर रहे हैं। इनमें खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान, पंजाब और सिंध प्रांत प्रमुख रहे।विशेष रूप से, बलूच अलगाववादी और आतंकवादी गुटों ने पहले चीनी नागरिकों और परियोजनाओं को निशाना बनाया था, लेकिन स्वात की घटना इस पैटर्न से अलग है क्योंकि इसमें अन्य विदेशी राजनयिकों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार "डॉन" ने अपने संपादकीय में कहा कि इस हमले की जांच कई कोणों से की जानी चाहिए, क्योंकि इतने बड़े स्तर पर विदेशी राजनयिकों पर हमला पाकिस्तान के लिए वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी का कारण बन सकता था।