पूर्व CJI DY Chandrachud ने संजय राउत को दिया करारा जवाब, कहा – 'राजनीतिक दल नहीं तय कर सकते के सुप्रीम कोर्ट किन मामलों की सुनवाई करे'

Edited By Mahima,Updated: 27 Nov, 2024 09:29 AM

former cji dy chandrachud gave a befitting reply to sanjay raut

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। राउत ने सीजेआई पर महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता के मामलों में देरी का आरोप लगाया था। चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्राथमिकता केवल चीफ...

नेशनल डेस्क: शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता संजय राउत के आरोपों का सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त जवाब दिया है। दरअसल, राउत ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) की करारी हार के बाद, सुप्रीम कोर्ट में लंबित अयोग्यता मामलों के कारण राजनीति में बदलाव के लिए सीजेआई को जिम्मेदार ठहराया था। राउत के आरोपों के बाद, चंद्रचूड़ ने 26 नवंबर को एक इंटरव्यू में विस्तार से अपनी स्थिति स्पष्ट की।

संजय राउत का आरोप और CJI पर सवाल
महाराष्ट्र चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) को मिली हार के बाद संजय राउत ने आरोप लगाया था कि सीजेआई ने विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामलों पर जल्द सुनवाई नहीं की, जिससे राज्य में दलबदल और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी। राउत ने कहा था, “अगर सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर जल्दी फैसला लिया होता, तो राजनीतिक दलबदल को रोका जा सकता था और MVA को बेहतर परिणाम मिल सकता था।” राउत ने यह भी कहा था कि अब नेताओं के मन से कानून का डर खत्म हो गया है और वे अपनी मर्जी से दल बदल रहे हैं। उनका यह बयान राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि महाराष्ट्र में सत्ता के समीकरण तेजी से बदल रहे थे।

CJI चंद्रचूड़ का कड़ा जवाब
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किस मामले की सुनवाई हो, यह केवल और केवल चीफ जस्टिस का अधिकार है। उन्होंने कहा, "क्या अब किसी एक पार्टी का व्यक्ति तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट को कौन से मामले की सुनवाई करनी चाहिए? यह फैसला करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ चीफ जस्टिस के पास है।" चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्राथमिकताएँ पूरी तरह से संविधान और मौलिक अधिकारों के आधार पर तय की जाती हैं, न कि राजनीतिक दबावों या दखलअंदाजी के तहत। उन्होंने यह साफ किया कि जब भी कोर्ट ने बड़े संवैधानिक मुद्दों पर फैसला लिया, तब विपक्ष और सरकार दोनों ही आलोचना करते हैं, लेकिन ये फैसला न्यायपालिका का काम है।

लंबित मामलों का मुद्दा
पूर्व CJI ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण और संवैधानिक मामलों पर सुनवाई लंबित है, जिनमें कुछ मामलों को तो 20 साल से भी ज्यादा वक्त हो चुका है। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में 20 साल पुराने मामलों को लेकर आलोचना होती है, और जब हम ताजे मामलों पर सुनवाई करते हैं, तो आरोप लगता है कि हम पुराने मामलों को नजरअंदाज कर रहे हैं।" चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह संवैधानिक मामलों की प्राथमिकता तय करे और एक समय में सभी मामलों पर सुनवाई करना असंभव है। उन्होंने यह भी माना कि यदि अदालत ने पुराने मामलों को निपटाया होता, तो भी नए मामलों पर आलोचना होती। यह बताता है कि सुप्रीम कोर्ट के काम में आलोचना का होना एक सामान्य बात है, क्योंकि फैसले कभी-कभी पक्षों के हितों से टकरा सकते हैं।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता और राजनीति
पूर्व CJI ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल यह मानते हैं कि अगर न्यायपालिका उनके एजेंडे के अनुकूल फैसले देती है, तो उसे स्वतंत्र माना जाता है। चंद्रचूड़ ने चुनावी बॉन्ड, उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा, "हमने कई बड़े फैसले किए हैं। चुनावी बॉन्ड पर हमारा फैसला क्या महत्वपूर्ण नहीं था?"  उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका का काम केवल संविधान के तहत फैसले देना है, और राजनीतिक दलों का काम यह नहीं है कि वे अदालत के फैसलों को प्रभावित करें। न्यायपालिका को अपनी स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।

राजनीतिक दलों की भूमिका पर सवाल
चंद्रचूड़ ने इस पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्राथमिकताएँ और मामलों की कार्यवाही पूरी तरह से न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या नेता को यह अधिकार नहीं है कि वह तय करें कि अदालत को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए। पूर्व CJI ने यह भी कहा कि यदि कोई राजनीतिक दल यह मानता है कि अगर अदालत उनके राजनीतिक एजेंडे के हिसाब से फैसले करती है तो यह स्वतंत्रता का परिचायक है, तो यह गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका को हर स्थिति में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर मामले पर निष्पक्ष और संविधान के अनुरूप फैसले हों।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और देश की राजनीति
पूर्व CJI ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों पर फैसले किए, जिनमें चुनावी बॉन्ड पर दिया गया फैसला, उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम का मामला और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान और कानून के तहत निर्णय लिया, और यह किसी भी राजनीति से ऊपर था। चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कार्यकाल के दौरान 38 संविधान पीठ के संदर्भों पर निर्णय लिया है। यह निर्णय देश के संवैधानिक ढांचे को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण थे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने संजय राउत के आरोपों का सख्त जवाब देते हुए यह स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में किस मामले की सुनवाई हो, यह केवल चीफ जस्टिस का अधिकार है और कोई भी राजनीतिक दल या व्यक्ति इसे प्रभावित नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले संविधान के अनुरूप होते हैं, और उनका उद्देश्य देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना है, न कि किसी राजनीतिक दल के एजेंडे को आगे बढ़ाना। यह मामला एक बार फिर से यह सवाल उठाता है कि राजनीति और न्यायपालिका के बीच सही संतुलन कैसे रखा जा सकता है, ताकि न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता बनाए रखते हुए संवैधानिक कार्य कर सके।

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