Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Nov, 2024 11:37 AM
साइबर ठगी के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऑनलाइन बिजली बिल का भुगतान, होटल की बुकिंग और अन्य सेवाओं के माध्यम से लोग लगातार ठगी का शिकार हो रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि इन ठगी के मामलों का बड़ा कारण बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों की...
नेशनल डेस्क. साइबर ठगी के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऑनलाइन बिजली बिल का भुगतान, होटल की बुकिंग और अन्य सेवाओं के माध्यम से लोग लगातार ठगी का शिकार हो रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि इन ठगी के मामलों का बड़ा कारण बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों की लापरवाही है, क्योंकि वे बिना उचित सत्यापन के खाता खोलने और सिम कार्ड जारी करने में लापरवाही बरत रहे हैं। इसके कारण ठगों को इन खातों और नंबरों का इस्तेमाल कर ठगी की वारदातों को अंजाम देने में आसानी हो रही है। इसके अलावा ठगों को पकड़ने के लिए पुलिस को भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास अपराधियों के खिलाफ काम करने के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं हैं।
पिछले साल साइबर ठगी के 93 मामले में गिरफ्तारियां
बीते एक साल में भोपाल साइबर क्राइम सेल में 5,500 से अधिक शिकायतें पहुंची हैं। इन मामलों में से केवल 61 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 93 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। सेल में रोजाना करीब 30 नई शिकायतें आ रही हैं, लेकिन यहां पर तीन महीने से एक भी इंस्पेक्टर की नियुक्ति नहीं हुई है। जिन मामलों में पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया, उन्हें क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टरों को सौंपा गया।
बैंक और टेलीकॉम कंपनियों की लापरवाही
बैंक: बैंक कर्मी अक्सर बिना सही प्रक्रिया के खाते खोलने के लिए दबाव में रहते हैं। कई निजी बैंक कर्मचारी बिना केवाईसी (Know Your Customer) और फिजिकल वेरीफिकेशन के खाते खोल देते हैं, जो RBI की गाइडलाइंस के खिलाफ है। RBI ने फर्जी बैंक खातों के माध्यम से होने वाली ठगी को रोकने के लिए "सस्पीशियस ट्रांजेक्शन रिपोर्ट" (STR) की व्यवस्था बनाई है, ताकि पुलिस को संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिल सके और वह समय पर कार्रवाई कर सके। हाल ही में भोपाल में एक बड़ा मामला सामने आया था, जिसमें एक गिरोह ने दो साल में देशभर में 1,800 से ज्यादा फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे। यह गिरोह भोपाल पुलिस द्वारा पकड़ा गया था।
टेलीकॉम कंपनियां: टेलीकॉम कंपनियां भी बिना पूरी सत्यापन प्रक्रिया के सिम कार्ड जारी कर रही हैं, जिससे ठग आसानी से इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। यह लापरवाही बड़ी समस्या बन गई है, क्योंकि बिना सत्यापन के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर अपराधी अपराध करने के बाद तुरंत भाग सकते हैं।
पुलिस की चुनौतियां
साइबर अपराधों को रोकने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन और कर्मी नहीं हैं। एक तरफ जहां साइबर क्राइम सेल में शिकायतों की बाढ़ आई हुई है। वहीं दूसरी तरफ अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त अधिकारी नहीं हैं।