Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Sep, 2024 11:26 AM
कांग्रेस सांसद गनीबेन ठाकोर ने मांग की है कि गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आने वाली सभी जातियों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए ओबीसी के वास्ते मौजूदा 27 प्रतिशत आरक्षण को दो भागों में विभाजित किया जाना चाहिए।
नेशनल डेस्क: कांग्रेस सांसद गनीबेन ठाकोर ने मांग की है कि गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आने वाली सभी जातियों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए ओबीसी के वास्ते मौजूदा 27 प्रतिशत आरक्षण को दो भागों में विभाजित किया जाना चाहिए।
'ओबीसी आरक्षण को विभाजित करना जरूरी है...'
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 17 सितंबर को लिखे एक पत्र में ठाकोर ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को विभाजित करना जरूरी है क्योंकि गुजरात में कुल 146 पिछड़ी जातियों में से केवल पांच से 10 जातियों को अधिकांश लाभ मिल रहे हैं जबकि अन्य ‘‘अत्यधिक पिछड़ी जातियों'' को केवल एक या दो प्रतिशत लाभ मिले हैं।
'असमानता को दूर करने के लिए ओबीसी आरक्षण को विभाजित किया जाए'
गुजरात से कांग्रेस की इकलौती लोकसभा सदस्य ठाकोर ने कहा कि गुजरात की इन अत्यंत पिछड़ी जातियों में ठाकोर, कोली, वादी, दबगर, खरवा, मदारी, नट, सलात, वंजारा, धोबी, मोची और वाघरी शामिल हैं। संसद में बनासकांठा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली ठाकोर ने कहा कि असमानता को दूर करने के लिए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को दो भागों में विभाजित किया जाए, जिनमें सात प्रतिशत आरक्षण उन जातियों के लिए हो जिन्हें अभी तक सबसे ज्यादा फायदा मिला है और 20 प्रतिशत आरक्षण अत्यधिक पिछड़ी जातियों के लिए हो जिन्हें पिछले 20 साल के दौरान न के बराबर फायदा मिला है।
विभाजन नहीं किया गया तो अत्यधिक पिछड़ी जातियों के लोग गरीब ही रहेंगे: ठाकोर
उन्होंने दावा किया कि अगर ओबीसी आरक्षण में यह विभाजन नहीं किया गया तो अत्यधिक पिछड़ी जातियों के लोग गरीब ही रहेंगे जबकि पांच से 10 जातियां आरक्षण का अधिकतम लाभ पाकर समृद्ध होती रहेंगी। ठाकोर ने कहा कि बिहार, ओडिशा, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे कई अन्य राज्यों ने सभी जातियों के बीच समानता लाने के लिए ओबीसी आरक्षण में विभाजन की इस व्यवस्था को लागू किया है।