वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए किसानों को 'गैप फंडिंग'

Edited By Archna Sethi,Updated: 04 Jan, 2025 08:57 PM

gap funding  to farmers for cultivation of alternative crops

वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए किसानों को 'गैप फंडिंग'


चंडीगढ़, 4 जनवरी:(अर्चना सेठी) पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत में गतिरोध को तोडऩे और दोनों पक्षों के बीच सार्थक बातचीत फिर से शुरू करने की अपील की।चौहान वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और बागवानी मंत्रियों के साथ कृषि क्षेत्र में सुधारों पर चर्चा कर रहे थे।

गुरमीत सिंह खुडियां ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री को बताया कि किसान नेता स. जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 40 दिनों से चल रहा है, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य और जीवन खतरे में है। इसलिए ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि केंद्र सरकार किसान नेता की जान बचाने और किसानों की समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने के लिए एक अनुकरणीय निर्णय ले।

पंजाब के कृषि मंत्री ने दोहराया कि मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार किसानों की जायज मांगों का समर्थन करती है और समृद्ध कृषि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार के साथ काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

एक और प्रमुख मुद्दा उठाते हुए, उन्होंने किसानों को पानी की अधिक खपत वाली धान की फसल से छुटकारा पाने के लिए वैकल्पिक फसलों की लागत में अंतर को पूरा करने के लिए प्रति एकड़ 15,000 रुपये की गैप फंडिंग की मांग की। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख चिंता का विषय है, जिसे संबोधित करने के लिए फसल विविधीकरण योजना के तहत अधिकतम क्षेत्र में धान के स्थान पर मक्का, कपास, केसर की दालों और तेल वाली फसलों की काशत नीचे लाने की जरूरत है  ताकि किसानों को धान के समान लाभ मिल सके।

गुरमीत सिंह खुडिय़ां ने कहा कि अगर किसान पराली को खेत में जोतते है तो उन्हें प्रति एकड़ 3000-4000 रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है, इसलिए ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को आगे आकर किसानों का हाथ थामना चाहिए और उन्हें पराली के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए 2500 रुपये प्रति एकड़ (केंद्र से 2000 रुपये प्रति एकड़ और पंजाब सरकार से 500 रुपये प्रति एकड़) की वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि किसानों को रियायती दरों पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें प्रदान की गई है, लेकिन इन मशीनों के उपयोग से जुड़ी अतिरिक्त लागत किसानों द्वारा ऐसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में बाधा बन रही है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पराली प्रबंधन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों पर सब्सिडी देने के अलावा, राज्य सरकार की सब्सिडी की  राशि के  प्रयोग  की इजाजत विभिन्न  उद्देश्यों जैसे सी  बी.जी. प्लांट संयंत्र,जैव-ईंधन संयंत्र, पेलेटाइजेशन इकाइयां आदि भी प्रदान की जानी चाहिए।

 

गुरमीत सिंह खुडियां ने राज्य में गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी प्रतिरोधी बीजी-3 संकर नरमे बीजों की खेती को मंजूरी देने की भी मांग की क्योंकि पिछले कई वर्षों में नरमे पर कीटों के हमले ने किसानों में चिंता पैदा कर दी है उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, राज्य में कपास उत्पादन को फिर से प्रोत्साहित करने के लिए कपास और कपास के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत सब्सिडी भी दी जानी चाहिए।

 

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