Edited By Mahima,Updated: 22 Mar, 2025 04:39 PM

गरुड़ पुराण में आत्महत्या को अकाल मृत्यु और पाप माना गया है। आत्महत्या करने से जीवन के सात चक्र अधूरे रहते हैं और आत्मा को भटकते हुए कष्ट सहने पड़ते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्महत्या एक गंभीर अपमान है, और इसे भगवान की इच्छा के खिलाफ माना जाता...
नेशनल डेस्क: गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें जीवन और मृत्यु के बाद के लोक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस पुराण में न केवल व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों का फल, बल्कि आत्मा के पुनर्जन्म और मोक्ष के बारे में भी बताया गया है। खासकर आत्महत्या के बारे में गरुड़ पुराण में बहुत ही गहरे रहस्यों का उल्लेख किया गया है। यहां हम आत्महत्या से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और उसके परिणामों के बारे में जानते हैं।
मनुष्य का जीवन कठिन तपस्या का फल
गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य का जीवन कठिन तपस्या का फल होता है, जो उसे धरती पर जन्म लेने का अवसर प्रदान करता है। जब कोई आत्महत्या करता है, तो यह न केवल उसकी आत्मा का नुकसान करता है, बल्कि उसके जीवन के सात चक्रों का भी अधूरा कर देता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जीवन के सात चक्रों का पूरा होना आवश्यक है। जब इन चक्रों का पूरा होना होता है, तभी व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। लेकिन अगर कोई आत्महत्या करता है, तो उसके सातों चक्र अधूरे रहते हैं और उसे अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यह मृत्यु समय से पहले होती है और आत्मा का जन्म चक्र भी अधूरा रह जाता है। आत्महत्या से होने वाली मृत्यु के प्रकारों का उल्लेख भी गरुड़ पुराण में किया गया है। इसमें कहा गया है कि भूख से तड़पकर मरना, हिंसा के शिकार होना, फांसी लगाकर जान देना, आग में जलकर मरना, सांप के काटने से मरना, या जहर पीकर आत्महत्या करना, ये सभी अकाल मृत्यु की श्रेणी में आते हैं। आत्महत्या को इस प्रकार से तात्कालिक मृत्यु माना गया है, जो किसी व्यक्ति के जीवन चक्र को जल्द समाप्त कर देती है।
आत्महत्या को पाप की श्रेणी में रखा गया
गरुड़ पुराण में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि आत्महत्या करना एक गंभीर पाप है। इस ग्रंथ के अनुसार, पृथ्वी पर इंसान का जीवन बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है, और यह जीवन भगवान की देन है। इसलिए जब कोई व्यक्ति अपने जीवन को स्वयं समाप्त करता है, तो यह भगवान की इच्छा का उल्लंघन माना जाता है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वयं समाप्त करके अपने पापों को बढ़ाता है और उसे नर्क की यातनाओं का सामना करना पड़ता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को 13 अलग-अलग स्थानों पर भेजा जाता है, जो उनके पापों के अनुसार निर्धारित होते हैं। यह व्यक्ति उन 7 नरकों में से किसी एक में भेजा जाता है और वहां उसे लगभग 60,000 वर्षों तक पीड़ा और कष्ट भोगने पड़ते हैं। यह नरक उनके पापों के अनुसार तय होते हैं, जहां वे आत्मा के रूप में शारीरिक कष्टों का सामना करते हैं।
आत्महत्या करने वाले की आत्मा की स्थिति
गरुड़ पुराण में आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा की स्थिति के बारे में भी गहरी जानकारी दी गई है। जब कोई आत्महत्या करता है, तो उसकी आत्मा तुरंत परलोक में नहीं जाती। आमतौर पर आत्माएं 3 से 40 दिनों के भीतर दूसरा शरीर प्राप्त कर लेती हैं, लेकिन आत्महत्या करने वाली आत्माएं लंबे समय तक भटकती रहती हैं। ऐसी आत्माएं न तो स्वर्ग में जा पाती हैं और न ही नरक में, बल्कि लोक और परलोक के बीच में भटकती रहती हैं। इन आत्माओं का कोई स्थिर ठिकाना नहीं होता और यह निरंतर असंतोष और कष्ट का सामना करती हैं। वे अपनी मृत्यु और जीवन के संघर्षों, दुखों, और प्रेम को लेकर हमेशा अशांत रहती हैं। इस प्रकार की भटकती आत्माओं को गरुड़ पुराण में "पिशाच" भी कहा गया है, जो जीवन और मृत्यु के बीच में अटकी रहती हैं और उन्हें शांति की प्राप्ति नहीं होती। यह भटकती आत्माएं अपने आत्महत्या के कारण अत्यधिक दुख भोगती हैं और उन्हें शांति प्राप्त करने में लंबा समय लग सकता है।
आत्महत्या से जुड़ी अन्य गंभीर बातें
गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि आत्महत्या करने से व्यक्ति को अगले जन्म में भी कष्ट भोगने पड़ सकते हैं। जीवन में कठिनाइयों का सामना करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, क्योंकि ये कठिनाइयां ही उसे आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष के मार्ग पर ले जाती हैं। अगर कोई आत्महत्या करता है, तो वह इस प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पाता, और इसका असर उसके अगले जन्म पर भी पड़ता है। गरुड़ पुराण से यह स्पष्ट होता है कि आत्महत्या न केवल एक पाप है, बल्कि इसके बाद की स्थिति भी बेहद दुखद है। यह व्यक्ति के जीवन के सात चक्रों को अधूरा छोड़ देती है और उसे असंख्य वर्षों तक यातनाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, जीवन के संघर्षों का साहस और धैर्य से सामना करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या का विचार न करें, क्योंकि जीवन को समझना और सही मार्ग पर चलना ही मानव जीवन का उद्देश्य है।