कभी फौज में जाने के इच्छुक थे गौतम गंभीर... अब शहीद जवानों के बच्चों की पढ़ाई का उठाते हैं खर्च

Edited By Mahima,Updated: 12 Jul, 2024 03:45 PM

gautam gambhir was once interested in joining the army

भारत की अंडर 14 टीम के ट्रायल चल रहे थे। लगभग 12-13 साल की उम्र का एक लड़का इस ट्रायल में पहुंचा था। बेहतरीन खेल के बावजूद उसका चयन नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि उसने ट्रायल के दौरान चयनकर्ता के पैर नहीं हुए थे। तभी उसने कसम खाई कि जीवन में कभी भी...

नेशनल डेस्क: भारत की अंडर 14 टीम के ट्रायल चल रहे थे। लगभग 12-13 साल की उम्र का एक लड़का इस ट्रायल में पहुंचा था। बेहतरीन खेल के बावजूद उसका चयन नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि उसने ट्रायल के दौरान चयनकर्ता के पैर नहीं हुए थे। तभी उसने कसम खाई कि जीवन में कभी भी किसी के पैर नहीं पड़ेगा। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि अपने तौखे तेवर और बेबाकी के लिए मशहूर गौतम गंभीर थे। गौतम क्रिकेट को लेकर जितने एग्रेसिव हैं, निजी जिंदगी को लेकर भी उनका नजरिया एकदम स्पष्ट है।

गंभीर जब केवल 18 दिन के थे तभी उनके दादा-दादी ने उन्हें अपने पास रख लिया था। उसके बाद वे उनके साथ ही रहे। उन्होंने 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। हालांकि करियर के लिए उनकी पहली पसंद फौज थी। गौतम बताते हैं कि वे 12वीं के बाद सेना में जाना चाहते थे, लेकिन रणजी के लिए चयन होने के बाद मां के कहने पर उन्होंने क्रिकेट को करियर बना लिया। क्रिकेट के अपने जुनून को लेकर गौतम कई बार मुखर हो जाते हैं। फिर चाहे 2011 का वन-डे वर्ल्ड कप जिताने का श्रेय केवल धोनी को देने की आलोचना हो या फिर भारत के पूर्व कप्तान विराट कोहली की कप्तानी की सफलता के लिए एमएस धोनी और रोहित शर्मा की मौजूदगी को श्रेय देना हो। गंभीर का एक फाउंडेशन है, जिसका उद्देश्य अर्धसैनिक बलों के शहीदों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाना है। इसके अलावा वे दिल्ली में सामुदायिक किचन भी चलाते हैं। 

शुरुआती जीवन : मुल्तान से भारत आया था परिवार
गौतम गंभीर का जन्म दिल्ली में दीपक गंभीर और सीमा गंभीर के घर हुआ था। पिता दीपक टेक्सटाइल का बिजनेस करते थे जबकि मां गृहणी थीं। उनके दादा बंटवारे के समय पाकिस्तान के मुल्तान से शरणार्थी के रूप में भारत आए थे। गंभीर ने स्कूली शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से प्राप्त की। जबकि दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से स्नातक किया। हालांकि रणजी टीम में चयन होने के कारण उन्होंने स्नातक की परीक्षाएं नियमित सत्र में नहीं दीं।

करियर : टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन रहे, सांसद भी बने
गौतम ने 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे और 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। आईसीसी की रैंकिंग में वे टेस्ट के नंबर एक बल्लेबाज रह चुके हैं। 2018 में क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली। 2019 में पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़े। भाजपा ने उन्हें 2024 में दोबारा चुनाव लड़ने के लिए लेकिन उन्होंने क्रिकेट पर फोकस करने के लिए चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

रोचक ... टेस्ट मैचों में लगातार पांच शतक बनाने वाले इकलौते भारतीय
फंडा : पॉपुलर नहीं विनर बनने की कोशिश करें
• गौतम का क्रिकेट फंडा है कि पॉपुलर नहीं विनर बनने की कोशिश करनी चाहिए। विनर पॉपुलर हो ही जाते हैं।
• गौतम गंभीर मानते हैं कि भारत की टी20 टीम का चयन आईपीएल से, 50 ओवर की टीम विजय हजारे ट्रॉफी से और टेस्ट टीम प्रथम श्रेणी क्रिकेट से चुनी जानी चाहिए।

जुनून : लोग स्माइल नहीं मुझे जीतता हुआ देखने आते हैं
हमेशा गुस्सैल दिखने के सवाल पर कहते हैं कि लोग उनकी स्माइल नहीं जीत देखने आते हैं। और में जीतने के लिए जुनूनी हूं। गौतम अकेले भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टेस्ट मैच में लगातार पांच शतक लगाए हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा करने वाले वे केवल चौथे खिलाड़ी हैं।

फिलॉसफी टीम स्पोर्ट्स में छोटे योगदान विजेता बनाते हैं
गौतम के अनुसार टीम स्पोर्ट्स में बड़े योगदान हेडलाइन बनते हैं जबकि छोटे-छोटे योगदान विजेता बनाते हैं। दूसरों का क्रेडिट लेने के सवाल पर कहते हैं कि मैं किसी का क्रेडिट नहीं लेता। हमेशा उनको क्रेडिट देने की कोशिश करता हूं जिन्होंने भले ही छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।

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