‘भूत’ ने कराई FIR, बयान दिया, पुलिस ने चार्जशीट तक दाखिल की…इलाहाबाद HC पहुंचा अनोखा केस

Edited By Pardeep,Updated: 07 Aug, 2024 11:38 PM

ghost got fir registered

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक आपराधिक मामले को रद्द कर न्यायिक समुदाय को हक्का-बक्का कर दिया। इस मामले में एक मृत व्यक्ति (भूत) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर शामिल थी।

नेशनल डेस्कः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक आपराधिक मामले को रद्द कर न्यायिक समुदाय को हक्का-बक्का कर दिया। इस मामले में एक मृत व्यक्ति (भूत) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर शामिल थी। यह फैसला जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनाया, जिन्होंने आपराधिक न्याय प्रणाली में गंभीर त्रुटियों को उजागर किया, जहां एक मृत व्यक्ति को सक्रिय शिकायतकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया।

भूतिया शिकायत
इस विचित्र घटनाक्रम की शुरुआत 2014 में हुई जब पुलिस स्टेशन कोतवाली हाटा, जिला कुशीनगर में एक एफआईआर दर्ज की गई। इस एफआईआर में शिकायतकर्ता के रूप में शबद प्रकाश को सूचीबद्ध किया गया था, जिनकी मृत्यु 19 दिसंबर, 2011 को हुई थी। आधिकारिक रिकॉर्ड, जिसमें मृत्यु प्रमाणपत्र और उनकी पत्नी की गवाही शामिल है, के अनुसार, शब्द प्रकाश की मृत्यु की पुष्टि और दस्तावेजीकरण एफआईआर दर्ज होने से पहले ही हो चुका था।

अन्य विचित्रताए
- जांच अधिकारी की भूमिका: जांच अधिकारी ने मृत व्यक्ति का बयान इस तरह दर्ज किया जैसे वह जीवित हो और कानूनी कार्यवाही में भाग लेने में सक्षम हो।
- चार्जशीट: 23 नवंबर, 2014 को एक चार्जशीट दायर की गई, जिसमें मृतक को अभियोजन गवाह के रूप में नामित किया गया।
- वकालतनामा: 19 दिसंबर, 2023 को एक वकालतनामा मृतक की पत्नी ममता देवी के नाम से दायर किया गया।

कोर्ट की स्तब्धता
जस्टिस शमशेरी ने इस घटनाक्रम पर गहरा अविश्वास व्यक्त करते हुए कहा, "यह बहुत अजीब है कि एक मृत व्यक्ति ने न केवल एफआईआर दर्ज कराई है, बल्कि उसने जांच अधिकारी के सामने अपना बयान भी दर्ज कराया है और इसके बाद इस मामले में उसकी ओर से एक वकालतनामा भी दायर किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी कार्यवाही एक भूत द्वारा की गई है।" 

पुलिस जांच पर सवाल
कोर्ट ने पुलिस जांच की सत्यनिष्ठा और क्षमता पर सवाल उठाया, यह जोर देकर कहा कि ऐसी प्रक्रियात्मक लापरवाही न केवल सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करती है बल्कि निर्दोष व्यक्तियों को भी परेशान करती है।

कोर्ट का फैसला और परिणाम 
निर्णायक कदम उठाते हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एफआईआर से संबंधित सभी कार्यवाहियों को रद्द कर दिया और कुशीनगर के पुलिस अधीक्षक को इस चूक के लिए जिम्मेदार जांच अधिकारी के आचरण की जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी गलतियां न्यायिक प्रणाली में बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली में सुधार और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न उठाता है। न्यायालय के इस कदम से भविष्य में इस तरह की त्रुटियों को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश जाता है।

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!