रात को टॉयलेट जाना छात्र को पड़ा भारी, स्कूल प्रशासन ने दी अजीब सजा... शिक्षा विभाग ने स्कूल को लगाई फटकार

Edited By Utsav Singh,Updated: 29 Sep, 2024 02:22 PM

going to toilet at night proved costly for the student school administration

बचपन से ही बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाया जाता है, लेकिन कभी-कभी अनुशासन के नाम पर अत्यधिक सख्ती की जाने लगती है। हाल ही में एक बोर्डिंग स्कूल में ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। बताया जा रहा है कि छात्र...

नेशनल डेस्क : हम बच्चों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाते हैं, और हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा संस्कारवान बने। यह प्रक्रिया स्कूल से शुरू होती है, लेकिन कई बार स्कूलों में अनुशासन और शिष्टाचार के नाम पर बच्चों का शोषण भी किया जाता है। हाल ही में चीन के एक बोर्डिंग स्कूल से एक ऐसी हैरान कर देने वाली खबर आई है, जिसने सबको चौंका दिया है। यह मामला उत्तरी चीन के शांक्सी प्रांत के यूंडोंग सेकेंडरी स्कूल का है। रिपोर्ट के अनुसार, एक कक्षा तीन का छात्र रात 11 बजे टॉयलेट गया। जैसे ही स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी मिली, छात्र को दंडित किया गया।

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घटना का विवरण
यह घटना शांक्सी प्रांत के यूंडोंग सेकेंडरी स्कूल की है। रिपोर्ट के अनुसार, एक कक्षा तीन का छात्र रात 11 बजे टॉयलेट गया, जिसे स्कूल स्टाफ ने पकड़ लिया। स्कूल के नियमों के अनुसार, रात 10:45 बजे के बाद छात्रों को छात्रावास में घूमने और शौचालय का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी। इस नियम के उल्लंघन पर छात्र को सजा दी गई।

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सजा की प्रकृति
छात्र को माफीनामा लिखने के लिए मजबूर किया गया और उसे 1000 फोटोकॉपी अन्य छात्रों के बीच बांटने की सजा सुनाई गई। छात्र ने पत्र में लिखा, “मैंने स्कूल के नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है और इससे न केवल अन्य छात्रों की नींद में खलल पड़ा, बल्कि मेरी कक्षा को भी शर्मसार होना पड़ा।” उसने माफी मांगी और भविष्य में ऐसा न करने का वादा किया।

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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
चीनी सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से फैला और लोगों ने इसे लेकर आक्रोश व्यक्त किया। कई लोगों ने सवाल उठाया कि ऐसी सख्ती पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही, जो बच्चों की स्वाभाविक जरूरतों के खिलाफ है।

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शिक्षा विभाग की कार्रवाई
इस विवाद के बढ़ने के बाद, शिक्षा विभाग ने स्कूल को कड़ी फटकार लगाई है और उसे सलाह दी है कि वह अपनी गलतियों पर विचार करे और इस घटना से सबक ले। यह घटना अनुशासन के नाम पर बच्चों के अधिकारों और भावनाओं के प्रति संवेदनहीनता का उदाहरण प्रस्तुत करती है। समाज और शिक्षा प्रणाली को चाहिए कि वे बच्चों की जरूरतों को समझें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें।

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