Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Jan, 2025 04:28 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सोने की खरीद को बढ़ा रहा है, और इसके पीछे मुख्य कारण रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकना और विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखना है। जब रुपये का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का कारण...
नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सोने की खरीद को बढ़ा रहा है, और इसके पीछे मुख्य कारण रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकना और विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखना है। जब रुपये का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बनता है, क्योंकि इससे आयात महंगे हो जाते हैं और विदेशी ऋण चुकाना भी कठिन हो सकता है। सोना एक ऐसा एसेट है जो वैश्विक बाजार में स्टेबल रहता है और इसकी कीमत डॉलर के मुकाबले उलट-फेर नहीं करती। इस तरह सोने की खरीद से भारतीय रिजर्व बैंक रुपये के टूटने के जोखिम को कम करना चाहता है।
वित्त वर्ष 2025 के अंत तक रिजर्व बैंक का लक्ष्य 50 टन सोना खरीदने का है। इस कदम का उद्देश्य न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करना है, बल्कि रुपए की मूल्य गिरावट के जोखिम को भी कम करना है। रिजर्व बैंक ने अक्टूबर से ही सोने की खरीदारी में वृद्धि शुरू कर दी है, जिससे गोल्ड रिजर्व भारत के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का एक अहम हिस्सा बन जाएगा।
सितंबर तक, रिजर्व बैंक ने 32.63 टन सोना खरीदा है, जिससे भारत का गोल्ड रिजर्व 52.67 अरब डॉलर से बढ़कर 65.74 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह वृद्धि यूएस डॉलर के मुकाबले रुपये के टूटने को रोकने में मददगार साबित हुई है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल गोल्ड रिजर्व अब 324.01 मीट्रिक टन है, जो बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सेफ कस्टडी में रखा गया है।
भारत के लिए गोल्ड रिजर्व का महत्व 1991 में सामने आया था, जब भारत को अपनी विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति सुधारने के लिए 87 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था। उस समय की घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि गोल्ड रिजर्व के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। इसीलिए रिजर्व बैंक अब गोल्ड रिजर्व को बढ़ाने पर जोर दे रहा है, ताकि भविष्य में किसी भी वित्तीय संकट से बचा जा सके।