Edited By Anu Malhotra,Updated: 12 Feb, 2025 11:46 AM
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लंबे समय बाद सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों के लिए खरीदारी का शानदार अवसर बन गया है। डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर वैश्विक चिंताओं के चलते हाल के दिनों में सोने के दाम लगातार बढ़ रहे थे, लेकिन आज इसमें 700 रुपये की गिरावट...
नेशनल डेस्क: लंबे समय बाद सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों के लिए खरीदारी का शानदार अवसर बन गया है। डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर वैश्विक चिंताओं के चलते हाल के दिनों में सोने के दाम लगातार बढ़ रहे थे, लेकिन आज इसमें 700 रुपये की गिरावट देखी गई है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और आगे सोना फिर महंगा हो सकता है।
सोने की कीमतों में गिरावट का कारण
मंगलवार को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद बुधवार को सोने के दाम कुछ कम हुए। गुड रिटर्न्स के अनुसार, 24 कैरेट गोल्ड (10 ग्राम) का भाव 87,380 रुपये से घटकर 86,670 रुपये हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट मुनाफावसूली के कारण आई है, क्योंकि निवेशकों ने ऊंचे दामों पर प्रॉफिट बुक किया है।
क्या है निवेश की सही रणनीति?
विशेषज्ञों के मुताबिक, जो निवेशक पिछले साल दीपावली के समय सोने में निवेश कर चुके हैं, वे इस मौके पर कुछ सोना बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रंप टैरिफ को लेकर चिंता बरकरार है, जिससे सोने की कीमतें दोबारा उछाल भर सकती हैं।
सोने की कीमतों पर क्या असर डालता है?
भारत में सोने की कीमतें केवल मांग और आपूर्ति से ही प्रभावित नहीं होतीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का भी इन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। लंदन ओटीसी स्पॉट मार्केट और कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स मार्केट जैसी प्रमुख वैश्विक ट्रेडिंग जगहों पर गतिविधियां भी सोने की कीमतों को तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
कौन तय करता है सोने की कीमतें?
दुनियाभर में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) द्वारा सोने की कीमतें तय की जाती हैं, जिसे अमेरिकी डॉलर में प्रकाशित किया जाता है। यह दरें बैंकरों और बुलियन व्यापारियों के लिए वैश्विक बेंचमार्क के रूप में काम करती हैं। भारत में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और अन्य टैक्स जोड़कर रिटेल विक्रेताओं के लिए सोने की दरें निर्धारित करता है।