Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Jan, 2025 12:54 PM
भारत में 2000 के बाद से ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब ब्रेस्ट कैंसर के इलाज को लेकर उम्मीद की किरण जगी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने के लिए एक सिंगल डोज (एक...
नेशनल डेस्क। भारत में 2000 के बाद से ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब ब्रेस्ट कैंसर के इलाज को लेकर उम्मीद की किरण जगी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने के लिए एक सिंगल डोज (एक खुराक) विकसित की है। जिससे ट्यूमर को खत्म करने में मदद मिली है।
सिंगल डोज से ट्यूमर को खत्म करने का दावा
अर्बाना-शैंपेन स्थित इलिनोइस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 'ईआरएसओ-टीएफपीवाई' नामक मोलिक्यूल की एक डोज विकसित की है जिससे ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर को खत्म किया गया। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर पॉल हर्गेनरोथर ने कहा कि माउस मॉडल (चूहों) पर इस डोज का परीक्षण किया गया और इसमें ब्रेस्ट कैंसर के बड़े ट्यूमर्स के साइज में कमी देखी गई। हालांकि यह रिसर्च अभी चूहों पर ही की गई है लेकिन इससे इलाज की एक नई उम्मीद जगी है।
अभी और रिसर्च की जरूरत
प्रोफेसर हर्गेनरोथर के मुताबिक स्तन कैंसर के 70 प्रतिशत मरीजों को आमतौर पर सर्जरी करवानी पड़ती है जिसके बाद विभिन्न थेरेपी से 5 से 10 साल तक इलाज किया जाता है। लंबे समय तक हार्मोन थेरेपी लेने से शरीर में ब्लड क्लॉट, मस्कुलोस्केलेटल दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में इस सिंगल डोज से ट्यूमर को खत्म करने का तरीका बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन इस पर अभी और रिसर्च की आवश्यकता है।
चूहों में इंसानों के ट्यूमर डालकर किया गया ट्रायल
वैज्ञानिकों ने सबसे पहले 2021 में 'ईआरएसओ' नामक मोलिक्यूल विकसित किया था जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स को मार सकता था लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव थे। फिर 2023 में एक नया मोलिक्यूल 'ईआरएसओ-टीएफपीवाई' तैयार किया गया जिसे चूहों में इंसान के ट्यूमर पर ट्रायल किया गया। इस सिंगल डोज ने चूहों के छोटे ट्यूमर्स को खत्म किया और बड़े ट्यूमर्स के आकार को भी घटा दिया।
भारत में तेजी से बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर के मामले
भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2000 के बाद से भारत में स्तन कैंसर के मामलों में तेजी आई है। 2021 में यह संख्या करीब 1.25 मिलियन तक पहुंच गई थी जो भारत की कुल आबादी का लगभग 1% है। शोधकर्ताओं के अनुसार आने वाले वर्षों में भारत में स्तन कैंसर के रोगियों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। 2021 से लेकर 2030 तक ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में सालाना 0.05 मिलियन की रफ्तार से बढ़ोतरी हो सकती है।
क्या है ब्रेस्ट कैंसर का कारण?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि खानपान की गलत आदतों, बिगड़े हुए लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारणों के कारण ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। अब 25 से 30 साल की उम्र में भी महिलाएं इस कैंसर का शिकार हो रही हैं जो पहले केवल अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता था।
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नए इलाज की उम्मीद
अगर यह सिंगल डोज इंसानों में भी सफल रहती है तो इससे ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए सर्जरी और लंबे समय तक चलने वाली थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह उपचार ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ एक नई क्रांति लेकर आ सकता है और लाखों मरीजों के लिए राहत की खबर हो सकती है।
इस शोध से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नई दिशा मिल सकती है। हालांकि अभी इस पर और अधिक रिसर्च और परीक्षण की आवश्यकता है लेकिन अगर यह सिंगल डोज इंसानों में भी प्रभावी साबित होती है तो यह ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।