Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Mar, 2025 08:29 AM

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 1909 के आबकारी अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया है जिसके बाद नाइट बार में महिलाओं के काम करने पर लगी 116 साल पुरानी रोक अब हट गई है। इस बदलाव से महिलाओं को अब नाइट बार में काम करने का अवसर मिलेगा।
नेशनल डेस्क। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 1909 के आबकारी अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया है जिसके बाद नाइट बार में महिलाओं के काम करने पर लगी 116 साल पुरानी रोक अब हट गई है। इस बदलाव से महिलाओं को अब नाइट बार में काम करने का अवसर मिलेगा।
विधेयक का उद्देश्य
विधेयक का उद्देश्य "ओएन श्रेणी" की शराब की दुकानों में लिंग आधारित प्रतिबंधों को हटाना है। इसका सबसे बड़ा लाभ महिलाओं को मिलेगा क्योंकि अब तक महिलाओं को इन दुकानों पर काम करने की अनुमति नहीं थी। राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया और इसे सहमति से पारित किया गया।

116 साल पुरानी रोक हटाई गई
यह प्रतिबंध 1909 में लागू किया गया था जब ब्रिटिश शासन था और कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) भारत की राजधानी हुआ करता था। उस समय की गई इस नीति के तहत महिलाओं को शराब की दुकानों खासकर नाइट बार में काम करने की अनुमति नहीं थी। अब इस पुराने कानून को बदलते हुए राज्य सरकार ने महिलाओं को समान अवसर देने का निर्णय लिया है।

लैंगिक समानता की दिशा में कदम
राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि, "हम सभी लैंगिक समानता की बात करते हैं और इस फैसले से हम इसे लागू करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा रहे हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि अब महिलाओं को उन स्थानों पर काम करने का मौका मिलेगा जहां पहले उनके लिए बंद दरवाजे थे।
अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान

इस विधेयक में कुछ और भी महत्वपूर्ण प्रावधान हैं:
➤ अवैध शराब के निर्माण पर नियंत्रण: संशोधित विधेयक राज्य सरकार को अवैध शराब के निर्माण पर रोक लगाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति, जैसे गुड़ की निगरानी करने का अधिकार देता है।
➤ चाय उद्योग में राहत: विधेयक में बंगाल कृषि आयकर अधिनियम 1944 में भी संशोधन किया जाएगा जिससे चाय उद्योग विशेष रूप से छोटे चाय बागानों को महामारी के बाद आर्थिक कठिनाई से राहत मिल सकेगी।
वहीं इस संशोधन से न केवल महिलाओं को नए अवसर मिलेंगे बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान होगा। यह कदम पश्चिम बंगाल में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।