Edited By Pardeep,Updated: 12 Aug, 2019 06:02 AM
अहमदाबाद के एक अग्रणी कपड़ा व्यापारी के घर 12 अगस्त, 1919 को एक बेटे का जन्म हुआ। इस बच्चे के कानों पर सबकी नजर गई जो महात्मा गांधी की तरह बड़े-बड़े थे। हालांकि, उस वक्त शायद ही किसी को पता हो कि यह बच्चा भी आगे चलकर अपनी महानता से इतना मशहूर हो...
नई दिल्ली: अहमदाबाद के एक अग्रणी कपड़ा व्यापारी के घर 12 अगस्त, 1919 को एक बेटे का जन्म हुआ। इस बच्चे के कानों पर सबकी नजर गई जो महात्मा गांधी की तरह बड़े-बड़े थे। हालांकि, उस वक्त शायद ही किसी को पता हो कि यह बच्चा भी आगे चलकर अपनी महानता से इतना मशहूर हो जाएगा कि देश-दुनिया का, अंतरिक्ष तक में अपनी छाप छोड़ेगा। यह बच्चा था विक्रम साराभाई। भारत की बहुप्रतीक्षित चंद्रयान 2 मिशन चांद की ओर जैसे-जैसे बढ़ रहा है, भारतीय स्पेस प्रोग्राम की सफलता की वह कहानी आगे बढ़ती जा रही है जिसकी नींव आगे चलकर साराभाई ने ही रखी थी। उनके जन्मदिन पर गूगल ने एक खास डूडल बनाया है।

साराभाई के पिता उद्योगपति थे और भौतिक विज्ञान के अध्ययन-अनुसंधान के इस केंद्र के लिए उन्होंने अपने पिता से ही वित्तीय मदद मिली थी। उस समय साराभाई की उम्र महज 28 साल थी लेकिन कुछ ही सालों में उन्होंने पीआरएल को विश्वस्तरीय संस्थान बना दिया। साराभाई को उनके बेहतर काम के लिए वर्ष 1966 में पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। बता दें कि साराभाई को भारतीय स्पेस प्रोग्राम का जनक भी माना जाता है। उन्हें 1962 में शांति स्वरूप भटनागर मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
30 दिसंबर, 1971 को उनकी मृत्यु उसी स्थान के नजदीक हुई थी जहां उन्होंने भारत के पहले रॉकेट का परीक्षण किया था। दिसंबर के आखिरी हफ्ते में वे थुंबा में एक रूसी रॉकेट का परीक्षण देखने पहुंचे थे और यहीं कोवलम बीच के एक रिसॉर्ट में रात के समय सोते हुए उनकी मृत्यु हो गई।