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New Rule On Digital Payment: डिजिटल पेमेंट होगा महंगा, सरकार फिर लागू करेगी MDR चार्ज!

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 11 Mar, 2025 11:30 AM

government can implement mdr charge again

आज के दौर में डिजिटल पेमेंट हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। खासतौर पर UPI और RuPay डेबिट कार्ड के जरिए लेन-देन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब सरकार MDR (Merchant Discount Rate) को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है।

नेशनल डेस्क: आज के दौर में डिजिटल पेमेंट हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। खासतौर पर UPI और RuPay डेबिट कार्ड के जरिए लेन-देन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब सरकार MDR (Merchant Discount Rate) को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। इस फैसले से बड़े व्यापारियों पर असर पड़ेगा, जबकि छोटे व्यापारियों को राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं पूरा मामला...

क्या है MDR और क्यों लगता है?

MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह फीस होती है जो दुकानदार अपने बैंक को डिजिटल पेमेंट प्रोसेस करने के लिए देते हैं। जब कोई ग्राहक UPI या डेबिट कार्ड से पेमेंट करता है, तो बैंक और पेमेंट कंपनियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और कस्टमर सर्विस का खर्च उठाना पड़ता है। इसी खर्च की भरपाई के लिए MDR वसूला जाता है।

बड़े व्यापारियों पर लागू होगा MDR?

सूत्रों के अनुसार, सरकार टियर सिस्टम लागू करने की योजना बना रही है, जिसमें बड़े व्यापारियों पर ज्यादा चार्ज लगेगा और छोटे व्यापारियों को कम या कोई शुल्क नहीं देना होगा। प्रस्ताव के अनुसार, जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से ज्यादा है, उन पर MDR लागू किया जा सकता है। छोटे दुकानदारों के लिए यह चार्ज माफ रहेगा, जिससे उनकी आमदनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बैंकों और पेमेंट कंपनियों की मांग

बैंकिंग और पेमेंट इंडस्ट्री की मांग है कि Visa, Mastercard और क्रेडिट कार्ड पर जब पहले से MDR लगाया जा रहा है, तो फिर UPI और RuPay पर क्यों नहीं? सरकार ने 2022 के बजट में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए MDR को खत्म कर दिया था, लेकिन अब जब UPI सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला पेमेंट मोड बन चुका है, तो सरकार इसे फिर से लागू कर सकती है।

पेमेंट कंपनियों के लिए क्यों जरूरी है शुल्क?

Paytm, PhonePe और Google Pay जैसी फिनटेक कंपनियों का कहना है कि बिना किसी चार्ज के बिजनेस टिक पाना मुश्किल हो गया है। उन्हें पेमेंट प्रोसेसिंग, साइबर सिक्योरिटी, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और कस्टमर सपोर्ट में भारी निवेश करना पड़ता है। इसके अलावा, सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी भी घटा दी गई है। पहले यह 3,500 करोड़ रुपये थी, जिसे अब घटाकर केवल 437 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

बड़े व्यापारियों को कितना फर्क पड़ेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े व्यापारी पहले से Visa और Mastercard कार्ड पेमेंट पर 1% तक MDR देते हैं। अगर अब UPI पर भी कुछ फीस लगती है, तो उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि बड़ी कंपनियां और ब्रांड्स 50% से ज्यादा ट्रांजेक्शन डिजिटल मोड से करते हैं, इसलिए उनके लिए यह खर्च मैनेज करना आसान होगा।

क्या आम जनता पर पड़ेगा असर?

फिलहाल यह प्रस्ताव केवल व्यापारियों के लिए है, आम ग्राहकों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर व्यापारी यह शुल्क ग्राहकों से वसूलने लगते हैं, तो डिजिटल पेमेंट से खरीदारी थोड़ी महंगी हो सकती है।

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