Edited By Harman Kaur,Updated: 02 Oct, 2024 12:33 PM
भारत में पहली बार स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी खर्च, मरीजों की जेब से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिला है। केंद्र सरकार ने हाल ही में जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में...
नेशनल डेस्क: भारत में पहली बार स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी खर्च, मरीजों की जेब से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिला है। केंद्र सरकार ने हाल ही में जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च लगातार बढ़ता गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में प्रति व्यक्ति सरकारी खर्च करीब 1,000 रुपए था, जो 2021-22 में बढ़कर 3,169 रुपए हो गया। इसके परिणामस्वरूप, आम लोगों के स्वास्थ्य खर्च में लगभग 25 फीसदी की कमी आई है।
आयुष्मान योजना से लोगों को मिला लाभ
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना, जो 2018 में शुरू हुई, ने लोगों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है। इसके साथ ही, 1.70 लाख से अधिक आयुष्मान स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की गई है। हाल ही में 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को भी इस स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाने की घोषणा की गई है।
बड़े बदलाव का संकेत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यह बढ़ती हुई सरकारी स्वास्थ्य सेवा पर निवेश, देश की स्वास्थ्य प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। पहली बार, सरकारी खर्च निजी खर्च से ज्यादा हो गया है। मंत्रालय का कहना है कि यह बदलाव लोगों पर वित्तीय बोझ कम करने और सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ बनाने के सरकार के प्रयासों को दर्शाता है।
खर्च में वृद्धि के आंकड़े
रिपोर्ट के मुताबिक, 2013-14 में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 1,042 रुपये था, जो 2021-22 तक बढ़कर 3,169 रुपये हो गया। इस दौरान, सरकारी स्वास्थ्य खर्च का हिस्सा 28.6 फीसदी से बढ़कर 48 फीसदी तक पहुंच गया। वहीं, आम लोगों का स्वास्थ्य खर्च 64.2 फीसदी से घटकर 39.4 फीसदी रह गया। यह बदलाव स्वास्थ्य क्षेत्र में एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का संकेत है, जिससे आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।