क्या है 'Lateral Entry'? जिस पर मचा सियासी बवाल, सरकार ने कांग्रेस पर किया पलटवार

Edited By Harman Kaur,Updated: 20 Aug, 2024 01:07 PM

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लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी शीर्ष पदों पर भर्तियों की प्रक्रिया को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध का जवाब देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा है कि यह योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई थी और मौजूदा सरकार...

नेशनल डेस्क: लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी शीर्ष पदों पर भर्तियों की प्रक्रिया को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध का जवाब देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा है कि यह योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई थी और मौजूदा सरकार ने इसे आगे बढ़ाया है।

सूत्रों के मुताबिक, 2005 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) शासन के दौरान द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में काम कर रहा था और इसकी 10वीं रिपोर्ट 2008 में सौंपी गई थी। आयोग ने सिविल सेवा क्षेत्र में सुधार की सिफारिश की थी और विशेषज्ञता वाले पदों पर लैटरल एंट्री से भर्ती का सुझाव दिया था।

'सरकार इस योजना का उपयोग संघ परिवार से जुड़े लोगों की भर्ती के लिए कर रही'
विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने आरोप लगाया है कि सरकार इस योजना का उपयोग संघ परिवार से जुड़े लोगों की भर्ती के लिए कर रही है, जिससे वंचित वर्गों के आरक्षण का हक छीना जा रहा है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2018 में इस योजना को औपचारिक रूप से लागू किया गया था और इसका उद्देश्य प्रशासनिक सुधार है, न कि आरक्षण खत्म करना। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस के विरोध को पाखंड करार देते हुए बताया कि मोइली आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह प्रक्रिया अपनाई गई है और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।

भाजपा का "राम राज्य" संविधान को तहस-नहस कर रहा: राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि संप्रग सरकार ने क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता वाले अधिकारियों की भर्ती की सिफारिश की थी, लेकिन मोदी सरकार इसका उपयोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों को भर्ती करने के लिए कर रही है। माकपा के डी राजा ने भी इस कदम को भाजपा-संघ की रणनीति का हिस्सा बताया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा का "राम राज्य" संविधान को तहस-नहस करने और आरक्षण का हक छीनने की कोशिश कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने अब तक बाहरी विशेषज्ञों को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है और कभी-कभी महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिकाएं भी सौंप दी हैं। उदाहरण के लिए, मुख्य आर्थिक सलाहकार आम तौर पर बाहरी क्षेत्र से नियुक्त होते हैं। आयोग ने यह सुझाव भी दिया था कि कुछ क्षेत्रों में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जो हर लोक सेवा क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हो सकती। इसके लिए निजी, सार्वजनिक और अकादमिक क्षेत्र से विशेषज्ञों की भर्ती का प्रस्ताव दिया गया था।

पहला प्रशासनिक सुधार आयोग, जिसे मोरारजी देसाई और बाद में के. हनुमंतैया ने अध्यक्षता की, ने पेशेवर रवैया और प्रशिक्षण में सुधार की सिफारिश की थी, जबकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने भारतीय विदेश सेवा में लैटरल एंट्री की सिफारिश की थी। कांग्रेस शासन के दौरान भी कई प्रमुख अधिकारी लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती किए गए थे, जैसे सैम पित्रोदा और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। इसके अलावा, नंदन नीलेकणी और वी कृष्णमूर्ति जैसे नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।

क्या है लेटरल एंट्री?
लैटरल एंट्री एक भर्ती प्रक्रिया है, जिसका उपयोग विशेष रूप से सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों में किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत, मौजूदा नौकरी पेशा लोगों या विशेषज्ञों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता है, बजाय इसके कि पूरी तरह नए कर्मचारियों को ही भर्ती किया जाए।

लेटरल एंट्री की प्रमुख बातें:-
विशेषज्ञता की आवश्यकता- यह प्रक्रिया उन पदों के लिए होती है जहां विशेष प्रकार की विशेषज्ञता की जरूरत होती है, जैसे कि आर्थिक सलाहकार, वैज्ञानिक, या तकनीकी विशेषज्ञ।
अनुभवी पेशेवरों की भर्ती- इसके तहत, निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में काम कर रहे अनुभवी पेशेवरों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता है।
पदों की भर्तियां- लैटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त किए गए लोग आमतौर पर उच्च स्तर के पदों पर नियुक्त होते हैं, जैसे कि संयुक्त सचिव, निदेशक, या सचिव।
समान स्तर की भर्ती- इस प्रक्रिया का उद्देश्य उन लोगों को भर्ती करना है जिनके पास मौजूदा सरकारी कर्मचारियों के समान या उससे उच्च स्तर का अनुभव और कौशल हो।
पारदर्शिता और चयन- लेटरल एंट्री के लिए चयन प्रक्रिया आमतौर पर पारदर्शी होती है और इसमें विशेषज्ञता, अनुभव और योग्यता के आधार पर चयन किया जाता है।
प्रस्तावना और सुधार- यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू की जाती है जहां सुधार की आवश्यकता होती है और जहां सरकारी सेवा में उच्चतम स्तर की दक्षता और अनुभव की जरूरत होती है।
लेटरल एंट्री का उद्देश्य सरकारी क्षेत्र में विविधता और विशेषज्ञता लाना है, जिससे कि विभिन्न क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता की सेवाएं प्रदान की जा सकें।



















 

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