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ग्रामीण भारत में 5G की चुनौती: सरकार ला रही सस्ते स्मार्टफोन और सैटेलाइट Technology

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Mar, 2025 04:07 PM

government is bringing cheap smartphones and satellite technology

भारत का दूरसंचार उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और यह न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। देश में करीब 1,187 मिलियन (118.7 करोड़) टेलीकॉम ग्राहक हैं। शहरों में टेलीफोन और इंटरनेट सेवाओं की पहुंच काफी ज्यादा है जहां...

नेशनल डेस्क। भारत का दूरसंचार उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और यह न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। देश में करीब 1,187 मिलियन (118.7 करोड़) टेलीकॉम ग्राहक हैं। शहरों में टेलीफोन और इंटरनेट सेवाओं की पहुंच काफी ज्यादा है जहां टेलीघनत्व 131.01% तक पहुंच गया है। इसके विपरीत ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 58.31% है जो यह दर्शाता है कि यहां अभी भी विकास की काफी संभावनाएँ हैं।

5G की बढ़ती पहुंच, लेकिन चुनौती बनी वहनीयता

भारत में 5G नेटवर्क का विस्तार तेजी से हो रहा है। इस तकनीक के सफल क्रियान्वयन में (AI), स्वदेशी डेटा सेट और स्थानीय डेटा सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क और 5G फोन अभी भी महंगे हैं। लोग इन्हें खरीदने में असमर्थ हैं जिससे 5G का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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सरकार की मदद: सस्ते 5G फोन और उपग्रह टेक्नोलॉजी

सरकार इस समस्या से निपटने के लिए वित्तीय राहत उपाय लागू कर रही है जैसे कि GST रिफंड और बैंक गारंटी हटाना। इसके अलावा 6,000 से 7,000 रुपये तक के किफायती 5G स्मार्टफोन विकसित करने पर भी काम चल रहा है। जो लोग दूर-दराज़ के इलाकों में रहते हैं उनके लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की मदद से इंटरनेट कनेक्टिविटी देने की योजना बनाई जा रही है।

हर गांव तक इंटरनेट पहुंचाने की योजना

दूरसंचार विस्तार को लेकर भारत सरकार का लक्ष्य हर गाँव और दुर्गम इलाकों तक फाइबर कनेक्टिविटी पहुंचाना है। कुछ क्षेत्रों में अभी भी नेटवर्क की बड़ी समस्या है खासकर जहां पहाड़, घने जंगल या नक्सली गतिविधियां हैं। इसके बावजूद सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि डिजिटल इंडिया का सपना हर नागरिक तक पहुंचे।

 

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टेलीकॉम सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भरता

भारत सरकार घरेलू टेलीकॉम उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दे रही है ताकि आयात पर निर्भरता कम हो और भारत एक वैश्विक टेलीकॉम हब बन सके। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत बड़े निवेश आकर्षित किए जा रहे हैं जिससे देश में दूरसंचार उपकरणों का निर्माण बढ़ रहा है और निर्यात के नए अवसर खुल रहे हैं।

नेटवर्क की सुरक्षा भी एक बड़ी प्राथमिकता बन गई है। इसके लिए सरकार ने "जीरो-ट्रस्ट सिक्योरिटी मॉडल" लागू किया है जहां सभी टेलीकॉम उपकरणों की समय-समय पर जांच की जाती है।

OTT सेवाएँ: अवसर और चुनौती 

भारत दुनिया के सबसे सस्ते डेटा प्रदाता के रूप में उभर रहा है। यहाँ डेटा खपत सबसे अधिक है लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की कमाई की तुलना में ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाएँ, जैसे Netflix, YouTube, WhatsApp और Zoom बिना किसी अतिरिक्त नेटवर्क लागत में योगदान दिए अपना विस्तार कर रही हैं। सरकार इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है ताकि दूरसंचार कंपनियों को उचित राजस्व मिले।

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डेटा सुरक्षा और साइबर अपराध से निपटने की तैयारी

जैसे-जैसे इंटरनेट का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे साइबर अपराध और डेटा गोपनीयता की चिंताएँ भी बढ़ रही हैं। इसीलिए सरकार ने डेटा लोकलाइजेशन नीति लागू की है जिससे भारतीय नागरिकों की जानकारी सुरक्षित रहे और विदेशी कंपनियाँ इसका गलत इस्तेमाल न कर सकें।

साइबर अपराध रोकने के लिए AI-आधारित सुरक्षा सिस्टम लगाए गए हैं जिससे धोखाधड़ी वाली कॉल्स और स्पैम मैसेज को रोका जा सके। साथ ही ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर फर्जी कॉल और मैसेजिंग धोखाधड़ी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत का टेलीकॉम सेक्टर वैश्विक स्तर पर उभर रहा है

दूरसंचार उद्योग में भारत की बढ़ती ताकत को भारत मोबाइल कांग्रेस (IMC) जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन भी दर्शाते हैं। हाल ही में IMC 2025 को जबरदस्त सफलता मिली और अब भारत मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2026 की मेजबानी के लिए भी तैयार हो रहा है।

रोजगार और कौशल विकास पर जोर

सरकार ने कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 2022-2026 के बीच 8,800 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इससे युवाओं को टेलीकॉम सेक्टर में नई नौकरियों और तकनीकी प्रशिक्षण के बेहतर अवसर मिलेंगे।

कहा जा सकता है कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में नए आयाम स्थापित कर रहा है। सरकार की नीतियाँ, तकनीकी नवाचार और बढ़ता निवेश इसे एक वैश्विक दूरसंचार शक्ति में बदलने की दिशा में ले जा रहे हैं। अब भारत के पास वह अवसर है जब वह दुनिया के अग्रणी टेलीकॉम देशों में शामिल हो सकता है। 

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