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प्रति माह 3000, शादी पर 2 लाख...अनाथ और बेसहारा बच्चों का सहारा बनीं सरकार की ये योजना

Edited By Parminder Kaur,Updated: 15 Mar, 2025 04:57 PM

government scheme became a support for orphaned and helpless children

गुजरात सरकार ने अनाथ, बेसहारा, परित्यक्त या परिवारविहीन बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए एक खास योजना बनाई है, जिसका नाम फोस्टर पैरेंट स्कीम है। यह योजना बेसहारा बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बन रही है और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का अवसर...

नेशनल डेस्क. गुजरात सरकार ने अनाथ, बेसहारा, परित्यक्त या परिवारविहीन बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए एक खास योजना बनाई है, जिसका नाम फोस्टर पैरेंट स्कीम है। यह योजना बेसहारा बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बन रही है और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान कर रही है। मेहसाणा जिले के नुगर गांव की एक लड़की के लिए तो यह योजना एक वरदान बनकर सामने आई है।

पायल के लिए सहारा बनी योजना

मेहसाणा जिले के नुगर गांव में रहने वाली पायल ने बहुत कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था। ऐसे में गुजरात सरकार की फोस्टर पैरेंट स्कीम पायल और उसके भाई-बहनों के लिए सहारा बन गई। इस योजना के तहत अनाथ बच्चों को 1000 रुपये मासिक भत्ता और 3000 रुपये प्रति माह की राशि मिलती है, जो सीधे उनके बैंक खाते में जमा होती है। इसके अलावा लाभार्थी बेटियों को शादी के समय 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए बच्चों को जिला सामाजिक सुरक्षा कार्यालय में आवेदन करना होता है।

मेहसाणा जिले में योजना का प्रभाव

मेहसाणा जिले की बात करें तो यहां कुल 825 बच्चों को 3000 रुपये प्रति माह की सहायता दी जा रही है। अब तक इस जिले में पायल जैसी 652 लड़कियों को उनकी शादी के लिए 2 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है। यह योजना अनाथ बच्चों के लिए एक नई उम्मीद और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गई है, जिससे उन्हें शिक्षा और सशक्तिकरण का अवसर मिल रहा है।

कौन बन सकते हैं लाभार्थी ?

फोस्टर पैरेंट स्कीम का लाभ केवल उन बच्चों को मिलता है, जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है, या जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी है और मां ने फिर से विवाह कर लिया है। इस स्थिति में बच्चे की मौसी, चाचा, या मां ही उसे पालक माता-पिता के रूप में स्वीकार कर सकती हैं। इस योजना के तहत बच्चे को 3000 रुपये प्रति माह की राशि दी जाती है, जो डायरक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से उसके बैंक खाते में जमा की जाती है। यह राशि तब तक दी जाती है, जब तक बच्चा 18 वर्ष का नहीं हो जाता।

अगर बच्चे के पिता की मृत्यु हो गई है और मां ने पुनर्विवाह नहीं किया है, तो इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसी तरह अगर मां ने पुनर्विवाह कर लिया हो या उसकी मृत्यु हो गई हो, तो भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

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