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सरकारी स्कूल के हेडमास्टर ने चुराए मिड-डे मील के अंडे, बच्चों ने वीडियो कर दिया वायरल (Video)

Edited By Mahima,Updated: 20 Dec, 2024 03:10 PM

government school headstole mid day meal eggs

बिहार के वैशाली जिले में एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल सुरेश साहनी को मिड-डे मील के तहत छात्रों के लिए रखे गए अंडे चुराते हुए पकड़ा गया। वायरल वीडियो के बाद शिक्षा विभाग ने उनकी जांच शुरू की और उन्हें 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का नोटिस जारी...

नेशनल डेस्क: बिहार के वैशाली जिले के एक सरकारी स्कूल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें स्कूल के हेडमास्टर पर मिड-डे मील (MDM) योजना के तहत छात्रों के लिए रखे गए अंडे चुराने का आरोप लगा है। यह मामला 13 दिसंबर को उस समय प्रकाश में आया, जब कुछ छात्रों ने हेडमास्टर को अंडे चुराते हुए देख लिया और उनका वीडियो बना लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

क्या दिख रहा है वायरल वीडियो में?
वायरल वीडियो में प्रिंसिपल सुरेश साहनी को एक कैरी बैग में अंडे लेकर जाते हुए देखा जा सकता है। यह घटना उस समय की है जब मिड-डे मील की आपूर्ति वैन स्कूल में पहुंच रही थी और वहां छात्रों के लिए अंडे उपलब्ध कराए जा रहे थे। वीडियो में दिख रहा है कि प्रिंसिपल साहनी एक बैग में अंडे भरकर स्कूल परिसर से बाहर जा रहे हैं, जो कि स्पष्ट रूप से गलत और अनुचित है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर फैलते ही काफी वायरल हो गया और देखते ही देखते स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई।

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी बीरेंद्र नारायण ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और मामले की जांच का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है और स्कूल प्रशासन की इस तरह की हरकतों से शिक्षा व्यवस्था की छवि पर बुरा असर पड़ता है। इसके बाद, प्रिंसिपल सुरेश साहनी को शिक्षा विभाग की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें अपने कृत्य के लिए 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। अगर उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा दी जाएगी। उनके अनुसार, मिड-डे मील योजना के तहत छात्रों को प्रदान की जाने वाली सामग्री में किसी भी तरह की गड़बड़ी या चोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रिंसिपल से जवाब नहीं मिलता है या उनका जवाब असंतोषजनक होता है, तो उन्हें निलंबित भी किया जा सकता है।

समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया
इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं का ताता लग गया। जहां कुछ लोग शिक्षा विभाग की जांच की सराहना कर रहे हैं, वहीं बहुत से लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि इस तरह की घटनाएं सरकारी स्कूलों में क्यों हो रही हैं। सोशल मीडिया पर #MDMScam और #EggScam जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई लोगों ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल सरकारी स्कूलों की छवि को धक्का पहुंचाती हैं, बल्कि यह छात्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों का भी दुरुपयोग है। साथ ही, इस घटना ने बिहार में मिड-डे मील योजना के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए हैं। यह योजना बच्चों को पोषण और शिक्षा देने के उद्देश्य से लागू की गई थी, लेकिन अगर इसमें भ्रष्टाचार या अनियमितताएं होने लगें, तो इसका असर बच्चों की सेहत और उनके शैक्षिक विकास पर भी पड़ सकता है।

प्रिंसिपल का पक्ष
इस मामले में अब तक प्रिंसिपल सुरेश साहनी की ओर से कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने इस घटना को एक गलती मानते हुए बताया है। लेकिन अब तक शिक्षा विभाग से उनकी तरफ से कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम पर उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

आगे की कार्रवाई
जांच प्रक्रिया के बाद, शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि इस तरह की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मिड-डे मील की योजना के तहत छात्रों के लिए आवंटित सामग्रियों का किसी भी प्रकार से दुरुपयोग न हो। इसके अलावा, विभाग ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उनका प्रमोशन या सेवा भी प्रभावित हो सकती है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस प्रकार के घटनाएं न हों और अगर कोई गलती होती है तो उसे सही तरीके से ठीक किया जाए।

यह घटना सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए प्रदान किए जाने वाले संसाधनों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मामला बन गई है। मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, लेकिन इस तरह के कृत्य से न केवल छात्रों की सेहत पर असर पड़ता है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान भी लगाता है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि अगर भ्रष्टाचार या अनियमितताएं सरकार की योजनाओं में घुसपैठ करती हैं, तो उसका प्रभाव आम जनता और समाज पर प्रतिकूल पड़ता है। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या दोषियों को सजा मिलती है या नहीं।

 

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