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न्यायाधीशों की नियुक्ति पर एनजेएसी विधेयक लाने के मुद्दे पर सरकार मौन

Edited By Rahul Rana,Updated: 04 Apr, 2025 03:08 PM

government silent on the issue of bringing njac

न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक फिर से लाने के मुद्दे पर सरकार मौन साधे हुए है। यह सवाल तब उठाया गया जब कानून मंत्रालय से पूछा गया कि क्या सरकार न्यायाधीशों...

नेशनल डेस्क: न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक फिर से लाने के मुद्दे पर सरकार मौन साधे हुए है। यह सवाल तब उठाया गया जब कानून मंत्रालय से पूछा गया कि क्या सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने के लिए एनजेएसी विधेयक को फिर से लाने पर विचार करेगी। इस पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बृहस्पतिवार को लिखित जवाब दिया, लेकिन इस सवाल पर वह चुप रहे कि क्या सरकार एनजेएसी विधेयक को फिर से लाने पर विचार कर रही है। इस समय सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है कि वह एनजेएसी विधेयक को फिर से लाएगी या नहीं। हालांकि, इस मुद्दे पर बहस और चर्चा जारी है, और यह देखना होगा कि भविष्य में सरकार इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं। न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली को लेकर चल रही बहस से यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन यह सुधार किस दिशा में होगा, यह समय के साथ ही सामने आएगा।

एनजेएसी विधेयक का इतिहास और निरस्त होने का कारण
  

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने जवाब में बताया कि 2014 में संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को लाकर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को एक ‘‘अधिक व्यापक, पारदर्शी और जवाबदेह नियुक्ति तंत्र’’ से बदलने का प्रयास किया गया था। उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल, 2015 को इन दोनों कानूनों को लागू किया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने बाद में इन्हें असंवैधानिक और अमान्य घोषित कर दिया, जिसके बाद कॉलेजियम प्रणाली को पुनः प्रभावी कर दिया गया।

सरकार का दृष्टिकोण और मौजूदा स्थिति
 

मेघवाल ने यह भी बताया कि सरकार और उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम प्रक्रिया के ज्ञापन को अद्यतन करने के लिए लगातार संपर्क में हैं। यह ज्ञापन एक तरह से उन नियमों का सेट है जो उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण की प्रक्रिया को मार्गदर्शित करता है। हालांकि, न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नए कानून लाने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट संकेत नहीं आया है कि वह एनजेएसी विधेयक को फिर से लाने पर विचार कर रही है या नहीं। 

एनजेएसी की पुनः चर्चा का कारण
  
एनजेएसी का मुद्दा हाल ही में फिर से चर्चा में आया जब दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना सामने आई। आग में कथित रूप से जली हुई नोटों की आधी गड्डियाँ पाई गईं, जिससे न्यायिक नियुक्तियों और उनके वित्तीय पहलुओं को लेकर फिर से बहस शुरू हो गई। यह घटना एनजेएसी की पुनः चर्चा का एक महत्वपूर्ण कारण बनी है, क्योंकि एनजेएसी विधेयक का उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था। 

 

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