प्राइवेट क्षेत्र के कर्मचारियों पर मेहरबान होगी सरकार, हो सकती है मूल वेतन में बढ़ोतरी

Edited By Mahima,Updated: 05 Dec, 2024 10:25 AM

government will be kind to private sector employees

केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.ओ.) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ई.एस.आई.सी.) के तहत प्राइवेट कर्मचारियों के वेतन सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, ई.पी.एफ.ओ. में न्यूनतम मूल वेतन सीमा 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.ओ.) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम ( ई.एस.आई.सी. ) के तहत आने वाले प्राइवेट क्षेत्र के कर्मचारियों पर सरकार मेहरबान होती हुई नजर आ रही है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय कर्मचारियों के मासिक और मूल वेतन की सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मंत्रालय मूल वेतन की नई सीमा 25,000 रुपये या उससे अधिक तक बढ़ा सकता है। बताया जा रहा है कि अगर मूल वेतन में बढ़ोतरी होती है तो सेवानिवृत्ति के समय कम कर्मचारियों को अधिक न्‍यूनतम पेंशन मिलेगी। ईपीएफओ के तहत न्यूनतम मूल वेतन सीमा 15,000 रुपये है। आज से दस साल पहले न्‍यूनतम मूल वेतन को 6500 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये किया गया था।

वर्तमान में क्या है व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक हाल ही में ई.पी.एफ.ओ. की केंद्रीय न्यासी बोर्ड ( सी.बी.टी.) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। अधिकांश सदस्यों ने सहमति जताई कि मौजूदा मूल वेतन सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान में ई.पी.एफ.ओ. के तहत न्यूनतम मूल वेतन 15,000 रुपये में से कर्मचारी के पी.एफ. खाते के लिए 12 फीसदी अंशदान काटा जाता है। इतनी ही राशि कंपनी पी.एफ. खाते में जमा करती है। नियोक्ता यानी कंपनी के योगदान का 8.33 फीसदी हिस्सा पेंशन फंड (ई.पी.एफ.) में जाता है, जबकि 3.67 फीसदी पी.एफ. खाते में जमा होता है।

चार्ट
कब-कब वेतन में कितनी बढ़ोतरी

वर्ष                              रुपए
1952 से 1957               300
1957 से 1962               500
1962 से 1976               1,000
1976 से 1985               1,600
1985 से 1990               2,500
1990 से 1994               3,500
1994 से 2011               5,000
2011 से  2014              6,500
2014 से अब तक           15,000

बढ़ती महंगाई में वेतन बढ़ोतरी आवश्यकता
आखिरी बार ई.पी.एफ.ओ. के तहत न्यूनतम मूल वेतन सीमा को 2014 में बढ़ाया गया था। पिछले 10 वर्षों में महंगाई में बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते अब इस सीमा को फिर से बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इससे कर्मचारियों को भविष्य में ज्यादा पैंशन और पी.एफ. में अधिक धनराशि जमा करने का अवसर मिलेगा।
ई.एस.आई.सी. के तहत ग्रॉस सैलरी 21,000 रुपये के आधार पर कटौती की जाती है। कर्मचारी का 1.75% और नियोक्ता का 4.75% अंशदान इसमें शामिल होता है। सरकार अब ई.एस.आई.सी. के तहत ग्रॉस सैलरी की सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। माना जा रहा है कि आगामी बैठकों में इस पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।

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