Edited By Rahul Singh,Updated: 02 Dec, 2024 03:54 PM
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-4 के तहत जो पाबंदियां हैं, वे 5 दिसंबर तक जारी रहेंगी। कोर्ट ने यह जानने की इच्छा जताई कि प्रदूषण का स्तर कितना घटा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्रैप-4 के चलते निर्माण कार्यों पर रोक से प्रभावित मजदूरों...
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर, 2024 को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के ग्रैप-4 को सही तरीके से लागू न करने पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंचने के बावजूद, जीआरएपी के चरण IV के तहत जो कदम उठाए जाने चाहिए थे, उनमें कमी रही है। यह चरण तब लागू होता है जब वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है।
राज्य सरकारों का रवैया ढीला रहा
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-4 के तहत जो पाबंदियां हैं, वे 5 दिसंबर तक जारी रहेंगी। कोर्ट ने यह जानने की इच्छा जताई कि प्रदूषण का स्तर कितना घटा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्रैप-4 के चलते निर्माण कार्यों पर रोक से प्रभावित मजदूरों को मुआवजा देने में राज्य सरकारों का रवैया ढीला रहा है। इसके लिए कोर्ट ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल होने को कहा।
कोर्ट ने दिल्ली में ट्रकों की धड़ल्ले से एंट्री पर भी चिंता जताई। कोर्ट के द्वारा नियुक्त कमिश्नरों की रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के कई एंट्री पॉइंट्स पर अंधेरा रहता है और कुछ जगहों पर स्थानीय दबंग लोग बिना रोक-टोक के ट्रक दिल्ली में घुसने दे रहे हैं। एक कमिश्नर ने बाबा हरिदास नगर के थाने के SHO से यह जानकारी प्राप्त की। कोर्ट ने SHO को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस समस्या का स्थायी समाधान चाहता है। पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने जीआरएपी के चरण IV के खराब कार्यान्वयन पर अधिकारियों की आलोचना की थी। जस्टिस ओका ने कहा कि कोर्ट इस मुद्दे का गहराई से समाधान चाहती है और इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाना चाहती है ताकि हर साल यह समस्या न हो।