भारत का हरित क्षेत्र 25.17% तक बढ़ा, पर्यावरण पर सकारात्मक असर : सरकारी रिपोर्ट

Edited By Parminder Kaur,Updated: 22 Dec, 2024 12:52 PM

green area grows now covers 25 17 of india

भारत का कुल वन और वृक्षावरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़कर अब 827,357 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। यह जानकारी सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए नवीनतम राज्य वन रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि...

नेशनल डेस्क. भारत का कुल वन और वृक्षावरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़कर अब 827,357 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। यह जानकारी सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए नवीनतम राज्य वन रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जहां वनावरण में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं प्राकृतिक जंगलों का क्षरण भी हो रहा है।

भारत के वनावरण में बढ़ोतरी

भारत का वनावरण 25.17% तक बढ़ चुका है, लेकिन इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा (149.13 वर्ग किलोमीटर में से 156.41 वर्ग किलोमीटर) वृक्षारोपण और कृषि वानिकी के माध्यम से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 92,000 वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक जंगलों का क्षरण हुआ है, जिससे घने जंगल खुले जंगलों में बदल गए हैं। यह भारतीय वन संसाधनों की गुणवत्ता के लिए चिंता का विषय है।

कार्बन अवशोषण में वृद्धि

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रिपोर्ट के विमोचन के दौरान कहा कि भारत ने कार्बन अवशोषण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 149.42 मिलियन टन CO2 के बराबर कार्बन स्टॉक में वृद्धि दर्ज की गई है और अब भारत का कुल कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के बराबर हो गया है। यह वृद्धि भारत को 2030 तक पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन अवशोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।

वन गुणवत्ता में गिरावट

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया कि अधिकांश वन क्षेत्र वृद्धि रिकार्डेड फॉरेस्ट एरिया (RFA) के बाहर हुई है, जिसमें वृक्षारोपण और कृषि वानिकी प्रमुख कारण रहे हैं। RFA में घने जंगलों का क्षेत्र 1,234.95 वर्ग किलोमीटर घट गया, जबकि खुले जंगलों का क्षेत्र 1,189.27 वर्ग किलोमीटर कम हुआ। इस बदलाव से जंगलों की गुणवत्ता और संरचना पर असर पड़ रहा है।

राज्यवार स्थिति

मध्य प्रदेश ने सबसे बड़े वन और वृक्षावरण का रिकॉर्ड दर्ज किया, जिसकी कुल संख्या 85,724 वर्ग किलोमीटर रही। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग किलोमीटर) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग किलोमीटर) का स्थान रहा। सबसे ज्यादा वृद्धि छत्तीसगढ़ में हुई, जहां 684 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ। इसके बाद उत्तर प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में भी वृद्धि देखी गई।

पूर्वोत्तर क्षेत्र और पश्चिमी घाट

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 67% भौगोलिक क्षेत्र पर वनावरण है, लेकिन इस क्षेत्र में 327.30 वर्ग किलोमीटर की कमी देखी गई है, जो चिंताजनक है। पश्चिमी घाट क्षेत्र में भी पिछले दशक में 58.22 वर्ग किलोमीटर वनावरण में कमी आई है।

मैंग्रोव और बांस क्षेत्र

मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में 7.43 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई, विशेष रूप से गुजरात में 36.39 वर्ग किलोमीटर की गिरावट आई। वहीं बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई और 2023 तक बांस क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 154,670 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया।

वन कानून में बदलाव

इस रिपोर्ट के विमोचन के बीच वन संशोधन अधिनियम 2023 को लेकर विवाद भी उठे हैं। इस अधिनियम के तहत "अप्रमाणित" और "अवर्गीकृत" जंगलों को संरक्षण से बाहर रखा गया है, जिनका क्षेत्र 119,265 वर्ग किलोमीटर है। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और अदालत ने वन संसाधनों के संरक्षण की पुरानी परिभाषा को बरकरार रखा है।

यह रिपोर्ट वन और वृक्ष संसाधनों की निगरानी और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है, जो नीति निर्माताओं, योजना बनाती संस्थाओं, राज्य वन विभागों और शोध संगठनों के लिए उपयोगी साबित होगी। इस रिपोर्ट में भारत के वन संसाधनों की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है, जो पर्यावरणीय नीतियों और विकास कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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