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मिगसन ग्रुप में फ्लैट बुक के बाद हिडन चार्ज में हुई जीएसटी चोरी, हार्ड डिस्क उगलेगी राज

Edited By Rahul Singh,Updated: 04 Feb, 2025 11:26 PM

gst theft happened in hidden charges after booking flat in migsun group

मिगसन ग्रुप पर जीएसटी की एसआईबी टीम द्वारा छापेमारी से अन्य बिल्डरों में भी हडक़ंप मचा हुआ है। जीएसटी की एसआईबी के रडार पर करीब 15 बड़े बिल्डर हैं। इन सभी बड़े बिल्डरों के खिलाफ ग्राहकों ने रेरा से लेकर शासन तक शिकायत दर्ज कराई हुई है।

गाजियाबाद : मिगसन ग्रुप पर जीएसटी की एसआईबी टीम द्वारा छापेमारी से अन्य बिल्डरों में भी हडक़ंप मचा हुआ है। जीएसटी की एसआईबी के रडार पर करीब 15 बड़े बिल्डर हैं। इन सभी बड़े बिल्डरों के खिलाफ ग्राहकों ने रेरा से लेकर शासन तक शिकायत दर्ज कराई हुई है। जीएसटी के विभागीय सूत्रों की मानें तो मिगसन ग्रुप पर छापेमारी तो एक शुरूआत भर है, अभी कई बड़े बिल्डर एसआईबी के निशाने पर हैं। आने वाले दिनों में इन बड़े बिल्डरों के यहां भी जीएसटी की एसआईबी द्वारा छापेमारी की तैयारी है। वहीं, मिगसन ग्रुप पर की गई छापेमारी के दौरान एसआईबी लैपटॉप, हार्डडिस्क और कुछ अहम दस्तावेज लेकर गई थी। माना जा रहा है कि लैपटॉप और हार्डडिस्क से मिगसन ग्रुप के घल्लूघारे के कई राज उजागर हो सकते हैं।
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विभागीय सूत्रों की मानें तो फ्लैट बुक के बाद बायर्स से लाखों रुपए हिडन चार्ज के रूप में वसूलने की शिकायत पर राज्यकर विभाग एसजीएसटी की विशेष जांच शाखा एसआईबी की टीम ने मिगसन ग्रुप की 15 फर्मों की 41 ब्रांचों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान छापेमारी टीम ने कंप्यूटर हार्डडिस्क, लैपटॉप और जरूरी कागजात अपने कब्जे में लिए हैं। आरोप है कि बिल्डर ने फ्लैट बुक कराने के बाद कई हिडन चार्ज के रूप में मेंटिनेंस, पार्किंग और विद्युत मीटर पर लोड बढ़ाने के नाम पर लाखों रुपए  वसूले थे, लेकिन बिल्डर द्वारा हिडन चार्ज के नाम पर वसूली गई रकम पर किसी प्रकार की जीएसटी जमा नहीं कराई गई। इस मामले की शिकायत ग्राहकों ने रेरा और शासन से की थी। जिसके बाद राज्य कर विभाग के एसटीएफ को जांच सौंपी गई। जांच मिलने पर विभाग की टीमों ने गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ में एक साथ छापेमारी की थी।

बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता चला
मिगसन ग्रुप की ब्रांचों पर करीब 12-घंटे की गहन छापेमारी के दौरान जांचकर्ताओं ने जीएसटी चोरी के 10 करोड़ रुपए से अधिक का मामला पाया। जीएसटी चोरी का मामला उजागर होने के बाद एसबीआई टीम ने बिल्डर कंप्यूटर की हार्डडिस्क, अहम दस्तावेज, लैपटॉप और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त कर लिए।  छापेमारी के जवाब में, मिगसन समूह को अपनी विभिन्न शाखाओं में 10 करोड़ रुपए जमा कराने पड़े। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब्त किए दस्तावेजों की विस्तृत समीक्षा के बाद ऑडिट कार्यवाही और समन जारी किए जाएंगे।

जांच अन्य बिल्डरों तक भी
सूत्र बताते हैं कि एसआईबी टीम ने जिले में अन्य रियल एस्टेट फर्मों के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के दावों की जांच भी शुरू कर दी है। जिसमें बिल्डरों द्वारा व्यापक धोखाधड़ी का संदेह है। आगे की जांच के बाद अन्य बिल्डरों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद की है।

मिगसन कियाना प्रोजेक्ट पर करोड़ों बकाया
गाजियाबाद के  वसुंधरा सेक्टर.14 में चल रहे मिगसन कियान प्रोजेक्ट पर भी आवास विकास का 50 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया पड़ा हुआ है। आवास विकास ने कियाना प्रोजेक्ट के बाहर नोटिस लगाकर हिदायत दी है कि अभी तक बिल्डर ने कंप्लीशन सर्टीफिकेट प्राप्त नहीं किया है। मिगसन ग्रुप पर आवास विकास का करोड़ों का बकाया है। जब तक बिल्डर प्रक्रियाओं को पूरा नहीं कर लेता है, तब तक यहां किसी फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। यदि होती भी है तो वह अवैध होगी। आवास विकास कोई कार्रवाई करता है तो आवंटी खुद जिम्मेदार होंगे।

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    350 से अधिक फ्लैट अवैध
    मिगसन कियाना में 350 से अधिक फ्लैट हैं। इसके अलावा नीचे फ्लोर पर दुकानें हैं। मिगसन कियाना को कई बार शेष धनराशि को जमा करने के लिए नोटिस जारी हो चुका है। लेकिन मिगसन ने प्रक्रियाएं पूरी नहीं की है। कुछ आवंटी ऐसे हैं जो बगैर रजिस्ट्री फ्लैटों में रहने लगे हैं। रजिस्ट्री नहीं होने पर उन्होंने आवास विकास के कार्यालय से लेकर यूपी आवास विकास के जनसुनवाई पोर्टल तक में शिकायत की है। जवाब में शिकायतकर्ताओं को बताया कि बिल्डर को निर्देश दिए हैं कि कंप्लीशन सर्टीफिकेट लेने के बाद ही फ्लैट आवंटित किए जाएं। आवास विकास के  चीफ इंजीनियर अजय मित्तल ने बताया कि आम लोगों की जानकारी के लिए नोटिस लगाया गया है। दूसरे चरण की कार्रवाई में बिल्डर ने जो कामर्शियल संपत्ति का निर्माण किया है, उन्हें बंद करवाया जाएगा। नगर निगम को पत्र लिखा गया है कि पानी और सीवर का कनेक्शन काट दिया जाए। 

    बिल्डरों ने दिखाया ठेंगा
    बिल्डरों की धोखाधड़ी को रोकने के लिए गठित रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) के आदेशों को बिल्डर नहीं मान रहे हैं। बिल्डरों की धोखेबाजी की लिस्ट में मिगसन ग्रुप का भी नाम है। मिगसन ग्रुप के एक प्रोजेक्ट में वर्ष-2016 में फ्लैट बुक कराने वाले बॉयर्स को 9 साल बाद भी फ्लैट नहीं मिला है। मिगसन बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार बॉयर्स बिल्डर के खिलाफ गाजियाबाद और नोएडा मुकदमे भी दर्ज करा चुके हैं। 

    आठ बिल्डरों पर कार्रवाई की तलवार
    राज्य कर के अपर आयुक्त ग्रेड-1 भूपेन्द्र शुक्ला ने बताया कि खरीदारों द्वारा कई बिल्डरों की शिकायत की गई थी। इसकी जांच में एसआईबी की टीम जुटी है। लगभग आठ बिल्डर ऐसे हैं जिन पर अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने का शक है। इनके द्वारा फाइल की गई जीएसटी आर-1 और जीएसटी आर-3 बी का मिलान कराया जा रहा है। बिल्डरों के कई प्रोजेक्ट गाजियाबाद में चल रहे हैं। इनमें मोरटा, लोनी, इंदिरापुरम एनएच-9 और मोदीनगर में इन बिल्डरों द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है।

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