Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 05 Feb, 2025 11:16 AM
पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) नामक इस दुर्लभ बीमारी के अब तक 163 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। हैरानी की बात यह है कि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस...
नेशनल डेस्क: पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) नामक इस दुर्लभ बीमारी के अब तक 163 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। हैरानी की बात यह है कि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस बीमारी का प्रकोप क्यों और कैसे फैला। हालांकि, विशेषज्ञ इसे पानी से फैलने वाली किसी जीवाणुजनित बीमारी से जोड़ रहे हैं। पुणे के अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, लेकिन अब राहत की बात यह है कि डिस्चार्ज होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है।
डॉक्टर्स ने दी राहत की खबर, स्थिति में सुधार
दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के कंसल्टेंट इंटेंसिविस्ट डॉ. समीर जोग के अनुसार, 'हमारे अस्पताल में भर्ती 36 मरीजों में से 16 को डिस्चार्ज कर दिया गया है, क्योंकि उनमें सुधार देखा गया है।' उन्होंने बताया कि 15 से 19 जनवरी के बीच हर दिन 3-4 नए मामले सामने आ रहे थे, लेकिन 26 से 29 जनवरी के बीच यह संख्या घटकर लगभग एक रह गई। पिछले तीन दिनों में एक भी नया मरीज भर्ती नहीं हुआ है।
21 मरीज अब भी वेंटिलेटर पर, सतर्कता जरूरी
हालांकि डिस्चार्ज होने वालों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन अब भी 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टरों का कहना है कि साफ पानी की आपूर्ति और उचित स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है ताकि बीमारी को और फैलने से रोका जा सके।
GBS के पीछे का कारण, क्या पानी है जिम्मेदार?
डॉक्टरों और अधिकारियों का मानना है कि GBS के मामलों में अचानक वृद्धि के पीछे दूषित पानी हो सकता है। पूना अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कोठारी के अनुसार, 'अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज गैस्ट्रोएंटेराइटिस से पीड़ित थे, जो संभावित रूप से कैंपिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया से जुड़ा हो सकता है। यह संक्रमण आमतौर पर GBS विकसित होने से 12-15 दिन पहले होता है।'
पानी के RO प्लांट्स और निजी विक्रेताओं पर जांच
शहर में 20 लीटर के डिब्बों में बेचे जाने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कई जगहों से लिए गए पानी के नमूनों में बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया है। PMC के नए विलय किए गए क्षेत्रों में GBS के मामलों की अधिकता को देखते हुए वहां की जल गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
क्या पुणे में GBS का खतरा अब टल रहा है?
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमीत द्रविड़ के अनुसार, 'GBS मामलों में अब गिरावट देखने को मिल रही है। पहले रोजाना नए मरीज भर्ती हो रहे थे, लेकिन अब यह संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है।' नवाले अस्पताल के एक अधिकारी ने भी बताया कि उनके अस्पताल में भर्ती 12 मरीजों में से 4 वेंटिलेटर पर हैं और पिछले तीन दिनों में कोई नया मरीज भर्ती नहीं हुआ है।
सावधानी बरतें, सतर्क रहें
डॉक्टरों की सलाह है कि लोग साफ और सुरक्षित पानी पिएं, सार्वजनिक जगहों पर स्वच्छता का ध्यान रखें और संदिग्ध लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। पुणे में GBS के बढ़ते मामलों की गुत्थी सुलझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार जांच कर रहा है, लेकिन फिलहाल बीमारी के असली कारण का पता नहीं चल सका है।