Edited By Rahul Rana,Updated: 20 Nov, 2024 02:35 PM
जयपुर जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है अब जल्द ही एक और भव्य धार्मिक स्थल पाने वाला है। गुलाबी नगरी में पहले से ही मोती डूंगरी और गोविंद देव जी जैसे प्रसिद्ध मंदिर हैं। अब यहां गुप्त वृंदावन धाम तैयार हो रहा है। यह मंदिर जयपुर के जगतपुरा...
नॅशनल डेस्क। जयपुर जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है अब जल्द ही एक और भव्य धार्मिक स्थल पाने वाला है। गुलाबी नगरी में पहले से ही मोती डूंगरी और गोविंद देव जी जैसे प्रसिद्ध मंदिर हैं। अब यहां गुप्त वृंदावन धाम तैयार हो रहा है। यह मंदिर जयपुर के जगतपुरा इलाके में हरे कृष्ण मार्ग पर 6 एकड़ भूमि में बन रहा है। यह भव्य मंदिर 300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है और इसका उद्घाटन जयपुर की 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2027 में होगा।
मंदिर का खास महत्व और भव्यता
गुप्त वृंदावन धाम राजस्थान का सबसे बड़ा मंदिर और सांस्कृतिक परिसर होगा। यहां भगवान श्रीकृष्ण-बलराम, राधा-श्यामसुंदर और गौरी-निताई की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। यह मंदिर भक्तों के लिए भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र बनेगा।
धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल
इस विशाल मंदिर में एक बड़ा धार्मिक स्थल बनाया जा रहा है, जहां हजारों श्रद्धालु एक साथ बैठकर पूजा-अर्चना और भक्ति का आनंद ले सकेंगे। इसके अलावा, मंदिर में सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र भी होगा। यहां भक्तों को कृष्ण लीला एक्सपो, गीता प्रदर्शनी, हरिनाम मंडप, और प्रमात्मा हॉल जैसी जगहों का अनुभव मिलेगा।
मंदिर के खास द्वार और डिज़ाइन
मंदिर में 6 भव्य द्वार बनाए जा रहे हैं। इनमें से मयूर द्वार मुख्य आकर्षण होगा, जिस पर 108 मोर सजाए जाएंगे। द्वारिका के मंदिरों की तरह यह द्वार अद्भुत होगा। इसके अलावा, मंदिर में हंस द्वार, सिंह द्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार, और अश्व द्वार होंगे।
राजस्थानी और आधुनिक आर्किटेक्चर का संगम
मंदिर का आर्किटेक्चर राजस्थानी शैली और आधुनिक डिजाइनों का खूबसूरत मिश्रण होगा। इसके शिखर पर राजस्थानी शैली की कमान छतरी बनेगी, और दीवारों पर आधुनिक फसाड़ कांच लगाए जाएंगे। इस भव्य मंदिर को मधु पंडित दास द्वारा डिजाइन किया जा रहा है, जो विश्व के सबसे बड़े वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के आर्किटेक्ट भी हैं।
उद्घाटन की तारीख
बता दें कि गुप्त वृंदावन धाम का उद्घाटन 2027 में किया जाएगा। यह उद्घाटन जयपुर की स्थापना की 300वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में होगा। जयपुर वासियों और पूरे राजस्थान के लिए यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र होगा बल्कि एक प्रमुख सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बनाएगा।