गुरु नानक देव की 555वीं जयंती: गुरुपर्व पर रोशनी से सजाया गया गुरुद्वारा बंगला साहिब

Edited By Parminder Kaur,Updated: 15 Nov, 2024 09:50 AM

guru nanak dev ji 555th birth anniversary

भारत में गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती (गुरुपर्व) बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। इस अवसर पर दिल्ली के प्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब को खूबसूरती से रोशन किया गया। गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह...

नेशनल डेस्क. भारत में गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती (गुरुपर्व) बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। इस अवसर पर दिल्ली के प्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब को खूबसूरती से रोशन किया गया। गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह पहले सिख गुरु के जन्म का उत्सव है। गुरु नानक देव जी को सिख धर्म के संस्थापक और मानवता के महान संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है।

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गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके उपदेशों को श्रद्धा के साथ मनाने के लिए देशभर में विभिन्न धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया गया। "सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होया..." का भव्य गायन किया गया, जिसका अर्थ है कि गुरु का नाम जपने से जीवन में अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और ज्ञान का उजाला फैलता है।

गाजियाबाद में ढाई लाख लोग करेंगे अरदास

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गाजियाबाद में गुरुपर्व के अवसर पर पंजाबी समाज के ढाई लाख से अधिक लोग 27 गुरुद्वारों में अरदास करेंगे। शहरभर में गुरुपर्व की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थीं और इस दिन कई जगह प्रभात फेरी और नगर कीर्तन आयोजित किए गए। इस मौके पर सरदार इंद्रजीत सिंह टीटू ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षा के माध्यम से दुनिया को मानवता का संदेश दिया और सिखाया कि "सबका भगवान एक है"।

प्रभात फेरी और नगर कीर्तन का आयोजन

गुरुपर्व के अवसर पर गाजियाबाद में विभिन्न जगहों पर प्रभात फेरी निकाली गई। यह फेरी पंज प्यारों की अगुवाई में निकाली गई और सबसे पहले संगत बाल्मीकि कुंज पहुंची, जहां उन्होंने शब्द-कीर्तन किया। इसके बाद प्रसाद भी वितरित किया गया। इस दौरान कई सिख समुदाय के लोग जैसे हरजिंदर, कुलवीर, अमरजीत, अजीत, अवतार, मंजीत और रणजीत उपस्थित रहे।

गुरुद्वारों में विशेष दीवान और कीर्तन

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गुरुपर्व के दिन गुरुद्वारों में विशेष दीवान सजाए गए, जिसमें कीर्तन और भजन गाए गए। बजरिया के गुरुद्वारे में हजूरी रागी सिंह भाई संत सिंह ने एक घंटे तक कीर्तन किया। इस दौरान "नानक नाम जहाज है..." शब्द की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। इसके बाद अमृतसर के दरबार साहिब से रागी सिंह गुरप्रीत सिंह अटारी ने निरंतर कीर्तन किया और संगत को निहाल किया। कीर्तन के बाद गुरु का लंगर भी आयोजित किया गया।

गुरु ग्रंथ साहिब पर गुलाब की वर्षा

इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब के ऊपर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई, जो श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक था। यह एक बहुत ही पवित्र और आध्यात्मिक दृश्य था, जिसे देखकर हर कोई भावुक हो गया।

गुरु नानक देव जी और गंगा स्नान का संयोग

गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व और हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व गंगा स्नान (कार्तिक पूर्णिमा) एक ही दिन मनाया जाता है। यह संयोग दोनों धर्मों के लिए खुशी का कारण बनता है।

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