‘ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ हैं’,'इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण'; CM योगी का गोरखपुर में बड़ा बयान

Edited By Utsav Singh,Updated: 14 Sep, 2024 08:33 PM

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी को 'मस्जिद' कहना 'दुर्भाग्यपूर्ण' है और ज्ञानवापी स्वयं भगवान विश्वनाथ का एक सच्चा स्वरूप है। योगी ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण...

नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी को 'मस्जिद' कहना 'दुर्भाग्यपूर्ण' है और ज्ञानवापी स्वयं भगवान विश्वनाथ का एक सच्चा स्वरूप है। योगी ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' नामक विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की, जहां काशी और ज्ञानवापी के पूजनीय स्थल के आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, जबकि यह स्वयं भगवान विश्वनाथ का स्वरूप है।''

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ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ हैं...
मुख्यमंत्री ने पौराणिक ऋषि आदि शंकर का भी विस्तृत उल्लेख किया और काशी में भगवान विश्वनाथ के साथ शंकर की मुलाकात के बारे में एक किस्सा सुनाया। यह किस्सा सुनाते हुए ही मुख्यमंत्री ने ज्ञानवापी को स्वयं भगवान का प्रत्यक्ष स्वरूप बताया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही है...।'' ज्ञानवापी मुद्दा लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई का केंद्र रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष का तर्क है कि ज्ञानवापी मस्जिद कथित तौर पर पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है।

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अयोध्या के संतों ने CM का समर्थन किया
विपक्षी समाजवादी पार्टी(सपा) ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अयोध्या के कुछ संतों ने उनका समर्थन किया है। मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वह (योगी आदित्यनाथ) अदालत का सम्मान नहीं करते हैं। मामला अदालत में लंबित है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री ने संविधान की शपथ ली है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह अदालत का उचित सम्मान नहीं कर रहे हैं। अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए, वह समाज को विभाजित कर रहे हैं।''

केवल मूर्ख लोग ही इसे मस्जिद कहते हैं
हैदर ने कहा, ‘‘भाजपा को जनता द्वारा दिया गया जनादेश यह भी दर्शाता है कि उन्होंने लोगों से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं की है।'' भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ऐतिहासिक, पुरातात्विक और आध्यात्मिक साक्ष्य स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि ज्ञानवापी एक मंदिर है।'' मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने कहा, ‘‘यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण लोग हैं, जो ज्ञानवापी को मस्जिद कह रहे हैं। यह स्वयं विश्वनाथ हैं, और काशी विश्वनाथ का मंदिर है। यहां तक कि अगर कोई दृष्टिहीन व्यक्ति भी संरचना पर अपना हाथ रखता है, तो उसे 'सनातन' के सभी प्रतीकों की अनुभूति होगी। हम लगातार कहते रहे हैं कि यह एक मंदिर है, केवल मूर्ख लोग ही इसे मस्जिद कहते हैं।''

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ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है
इस दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिंदुस्तानी अकादमी, प्रयागराज के सहयोग से किया गया है। योगी ने कहा कि भारतीय ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है, इस संत-ऋषि परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक और समरस समाज को महत्व दिया है। हमारे संत-ऋषि इस बात पर जोर देते हैं कि भौतिक अस्पृश्यता साधना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए बाधक है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान दिया गया होता तो देश कभी गुलाम नहीं होता। संत परंपरा ने समाज में छुआछूत और अस्पृश्यता को कभी महत्व नहीं दिया। यही नाथपंथ की भी परंपरा है। नाथपंथ ने प्रत्येक जाति, मत, मजहब, क्षेत्र को सम्मान दिया। सबको जोड़ने का प्रयास किया।''

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अंत में CM ने राजभाषा हिंदी दिवस की बधाई दी
योगी ने सभी लोगों को राजभाषा हिंदी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हिंदी देश को जोड़ने की एक व्यावहारिक भाषा है। इसका मूल देववाणी संस्कृत है। मुख्यमंत्री ने भारतेंदु हरिश्चंद्र के ‘निज भाषा उन्नति' वाले उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का भाषा के प्रति यह भाव आज भी आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि यदि भाव और भाषा खुद की नहीं होगी तो हर स्तर पर प्रगति बाधित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश को जोड़ने के लिए हिंदी को जिस रूप में देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है, वह अभिनंदनीय है। 

 

 

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