Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 26 Jan, 2025 06:11 PM
कर्नाटका के विजयनगर जिले में एक बड़े साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां हैकर्स ने एक कोऑपरेटिव बैंक के RTGS/NEFT ट्रांजैक्शन सिस्टम को हैक कर करोड़ों रुपये की राशि चोरी कर ली। इस धोखाधड़ी का तरीका अत्यधिक चतुराई से भरा था, जिसमें बैंक की...
नेशनल डेस्क: कर्नाटका के विजयनगर जिले में एक बड़े साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां हैकर्स ने एक कोऑपरेटिव बैंक के RTGS/NEFT ट्रांजैक्शन सिस्टम को हैक कर करोड़ों रुपये की राशि चोरी कर ली। इस धोखाधड़ी का तरीका अत्यधिक चतुराई से भरा था, जिसमें बैंक की ट्रांजैक्शन XML फाइल्स में छेड़छाड़ करके पैसे को गलत खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। यह मामला साइबर सुरक्षा के मुद्दे को गंभीरता से उठाता है और बैंकों को अपनी सुरक्षा प्रणालियों को पुनः जांचने की आवश्यकता पर जोर देता है।
हैकर्स ने कैसे किया बैंक का सिस्टम हैक?
हैकर्स ने Vijayanagar Cooperative Bank के RTGS/NEFT ट्रांजैक्शन सिस्टम को हैक किया और बैंक की XML फाइल्स में बदलाव कर दिया। इन फाइल्स में ट्रांजैक्शन से जुड़ी सारी जानकारी होती है, जैसे कि अकाउंट नंबर और IFSC कोड। हैकर्स ने इन जानकारी को बदलकर, असली खाताधारकों के पैसे 25 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए, जो कि भारत के उत्तरी राज्यों में स्थित थे। हैकर्स ने ट्रांजैक्शन में केवल अकाउंट नंबर और IFSC कोड में बदलाव किया, लेकिन लाभार्थियों के नाम वैसे ही रखे, जिससे यह धोखाधड़ी की पहचान में देर हुई।
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धोखाधड़ी का पता कैसे चला?
इस बड़े साइबर धोखाधड़ी का खुलासा 13 जनवरी को हुआ, जब बैंक की कई शाखाओं ने शिकायत की कि 10 जनवरी से किए गए RTGS ट्रांजैक्शन अब तक ग्राहकों के खातों में नहीं पहुंचे थे। बैंक ने तुरंत इस शिकायत की जांच शुरू की। शुरुआती जांच में पता चला कि जिन ट्रांजैक्शनों में 5 लाख रुपये से अधिक राशि थी, वे दूसरे खातों में ट्रांसफर हो गए थे। इसके बाद बैंक ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अपनी RTGS/NEFT सेवाओं को तत्काल सस्पेंड कर दिया और मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई।
बैंक ने क्या कदम उठाए?
जैसे ही बैंक को धोखाधड़ी का एहसास हुआ, उसने तुरंत अपनी RTGS और NEFT सेवाओं को सस्पेंड कर दिया, ताकि और कोई फंड ट्रांसफर न हो सके। साथ ही इस मामले की शिकायत होसपेटे टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई। बाद में मामला बेल्लारी के CEN (साइबर इकोनॉमिक नार्कोटिक्स) पुलिस स्टेशन को सौंपा गया, जहां पुलिस ने साइबर अपराधियों की तलाश शुरू कर दी।
पुलिस ने इस मामले में IT एक्ट की धारा 66(C)(D) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 318(3) के तहत FIR दर्ज की है और जांच जारी है।
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साइबर सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल
यह घटना साइबर सुरक्षा के मामलों में एक गंभीर चेतावनी देती है। हैकर्स के द्वारा की गई इस धोखाधड़ी से यह स्पष्ट हो जाता है कि तकनीकी माध्यमों के जरिए अपराधी आसानी से बैंकों की सुरक्षा को चुनौती दे सकते हैं। इस घटना ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए अपनी सुरक्षा प्रणालियों की पुनः समीक्षा करने की आवश्यकता को और भी स्पष्ट कर दिया है।
हालांकि बैंकों में पहले से ही सुरक्षा प्रोटोकॉल होते हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि इन प्रणालियों में अब और अधिक सुधार की आवश्यकता है। खासतौर पर ऐसे मामलों में जहां तकनीकी रूप से सक्षम अपराधी बैंक के सिस्टम तक पहुंच सकते हैं।
पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हैकर्स तक यह जानकारी कैसे पहुंची और उन्होंने इसका इस्तेमाल कैसे किया। पुलिस इस बात का भी पता लगा रही है कि क्या यह धोखाधड़ी अकेले इस बैंक तक सीमित है, या फिर ऐसे और मामलों का भी संबंध हो सकता है।
बेल्लारी के CEN पुलिस स्टेशन ने इस मामले में व्यापक जांच शुरू कर दी है और जांच के परिणामस्वरूप अधिक जानकारी मिलने की संभावना है। साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों को देखते हुए, पुलिस ने डिजिटल सुरक्षा को लेकर भी कई कदम उठाने की बात की है।