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हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा नहीं पढ़ सकते? कोर्ट का बड़ा आदेश आया सामने

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 12 Apr, 2025 12:04 PM

hanuman chalisa will no longer be performed on red road court

हनुमान जयंती पर जब पूरा देश बजरंगबली की भक्ति में डूबा है, तब कोलकाता से एक ऐसा आदेश आया जिसने लाखों श्रद्धालुओं को चौंका दिया। रेड रोड पर होने वाला हनुमान चालीसा का पाठ अब नहीं हो सकेगा।

नेशनल डेस्क: हनुमान जयंती पर जब पूरा देश बजरंगबली की भक्ति में डूबा है, तब कोलकाता से एक ऐसा आदेश आया जिसने लाखों श्रद्धालुओं को चौंका दिया। रेड रोड पर होने वाला हनुमान चालीसा का पाठ अब नहीं हो सकेगा। कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि आयोजन किसी भी सार्वजनिक और ऐतिहासिक स्थान पर नहीं किया जा सकता, बल्कि सिर्फ सरकार द्वारा निर्धारित जगहों पर ही होगा। अदालत की यह टिप्पणी कि "इस समस्या का हल हनुमानजी ही निकाल सकते हैं" अब चर्चा का विषय बन चुकी है।

कोर्ट की टिप्पणी: “इस समस्या का समाधान हनुमानजी ही निकाल सकते हैं”

मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवज्ञानम की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह धार्मिक मामला है और इसके समाधान के लिए हमें खुद हनुमानजी की ओर देखना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार ने जिन स्थानों को निर्धारित किया है, वहीं पर आयोजन करना उचित रहेगा। इन स्थानों में आरआर एवेन्यू और शहीद मीनार मैदान शामिल हैं, जहां सुबह 5 बजे से 11 बजे तक पाठ की अनुमति दी गई है।

याचिकाकर्ता की दलील: “अगर 15 अगस्त पर आयोजन संभव है, तो चालीसा पाठ क्यों नहीं?”

याचिकाकर्ता संगठन के वकील राजदीप मजुमदार ने दलील दी कि जब रेड रोड पर 15 अगस्त, 26 जनवरी और दुर्गा पूजा कार्निवल जैसे बड़े-बड़े आयोजन होते हैं, तो फिर हनुमान चालीसा का पाठ क्यों नहीं किया जा सकता? इसके जवाब में न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने कहा कि ये आयोजन देश के इतिहास और परंपराओं से जुड़े हैं जबकि हनुमान चालीसा पाठ जैसा आयोजन हाल ही में शुरू हुआ है और इसके लिए सभी पक्षों की सहमति आवश्यक होती है।

न्यायालय का सख्त रुख: “सेल्युलर जेल जाकर देखिए, वहां कितने बंगाली क्रांतिकारियों के नाम हैं”

जब याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के सामने रखा तो पहले तो न्यायाधीश सुनवाई को लेकर उत्साहित नहीं थे। लेकिन जैसे ही 15 अगस्त के आयोजन की तुलना चालीसा पाठ से की गई, तो न्यायमूर्ति शिवज्ञानम ने सख्त लहजे में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बंगाल ने देश की आजादी के लिए हजारों बलिदान दिए हैं और इसकी तुलना एक धार्मिक आयोजन से करना सही नहीं है। उन्होंने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि उन्हें सेल्युलर जेल जाकर वहां अंकित बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पढ़ने चाहिए।

धार्मिक आस्था बनाम सार्वजनिक व्यवस्था

यह मामला धार्मिक आस्था और सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन का बड़ा उदाहरण बन गया है। अदालत ने जहां धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया, वहीं यह भी सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक स्थानों पर अनियंत्रित भीड़ या कानून व्यवस्था की कोई समस्या न हो।

हाईकोर्ट का अंतिम फैसला

अंततः कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा पाठ रेड रोड पर नहीं होगा। इसके बजाय आयोजक आरआर एवेन्यू या शहीद मीनार मैदान पर सुबह 5 से 11 बजे तक पाठ कर सकते हैं। इन स्थानों पर राज्य सरकार की मंजूरी पहले से है और ये धार्मिक आयोजन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।

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