Edited By Utsav Singh,Updated: 08 Oct, 2024 08:07 PM
हरियाणा विधान सभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित किया कि कांग्रेस के विरष्ठ नेता अब चले हुए कारतूस हो चुके हैं और उनके चेहरे के दम पर चुनाव में जीत संभव नहीं है। हरियाणा में कांग्रेस ने पूरा चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हिसाब से लड़ा लेकिन वह...
नेशनल डेस्क : हरियाणा विधान सभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित किया कि कांग्रेस के विरष्ठ नेता अब चले हुए कारतूस हो चुके हैं और उनके चेहरे के दम पर चुनाव में जीत संभव नहीं है। हरियाणा में कांग्रेस ने पूरा चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हिसाब से लड़ा लेकिन वह सत्ता में वापसी का मौका चूक गई। हालाँकि भाजपा पिछले 10 साल से सत्ता में थी और उसके खिलाफ लोगों में नाराजगी भी थी और यह नाराजगी वोट शेयर में झलक भी रही है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अपनी खराब रणनीति और एक ही चेहरे पर निर्भर रहने के कारण चुनाव हार गई।
राजस्थान में गहलोत पर निर्भरता भारी पड़ी
इस से पहले राजस्थान में अशोक गहलोत ने भी पार्टी है कमान को राजस्थान का चुनाव अपने हिसाब से लड़ने के लिए मजबूर किया था लेकिन राजस्थान में भी गहलोत का जादू नहीं चला और भाजपा वहां भी चुनाव जीतने में कामयाब रही। पिछले साल हुए राजस्थान के विधान सभा चुनाव में भी भाजपा ने 115 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस महज 70 सीटों पर ही चुनाव जीत सकी थी. इस चुनाव के दौरान भी गहलोत ने कांग्रेस है कमान को टिकटों के आबंटन और चुनाव प्रचार का प्रबंधन अपने मुताबिक़ करने पर मजबूर किया था लेकिन वह सत्ता से बहार हो गए। गहलोत 1998 से लेकर 2003 ,2008 से लेकर 2013 और 2018 से लेकर 2023 तक राजस्थान के मुख्य मंत्री रहे लेकिन उनकी रणनीति भाजपा की रणनीति के सामने फेल साबित हुई
कमलनाथ भी सत्ता दिलाने में नाकामयाब रहे
इसी प्रकार मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने पूरा चुनाव कमल नाथ पर केंद्रित कर दिया। कमल नाथ 2018 से लेकर 2020 तक राज्य के मुख्य मंत्री रहे थे और उनके बाद शिव राज सिंह भाजपा की तरफ से मुख्य मंत्री बने। शिव राज सिंह इस से पहले 2005 से लेकर 2018 तक भी राज्य के मुख्य मंत्री थे। कांग्रेस ने 2023 का वह पूरा चुनाव कमल नाथ के हिसाब से लड़ा और टिकट आबंटन से लेकर चुनाव प्रचार तक उनकी अहम भूमिका रही लेकिन भाजपा ने इस चुनाव में एक तरफा जीत हासिल करते हुए 163 सीटों अपर कब्ज़ा किया जबकि कांग्रेस कमल नाथ की अगवाई में महज 66 सीटें जीत पाई।