हरियाणा की हार ने कांग्रेस की ताकत को किया कमजोर! सहयोगियों की चिंताएँ बढ़ीं, महाराष्ट्र-झारखंड में पड़ेगा प्रभाव

Edited By Mahima,Updated: 09 Oct, 2024 10:10 AM

haryana s defeat weakened congress s strength worries of allies increased

हरियाणा में कांग्रेस की हालिया हार ने पार्टी की स्थिति को कमजोर किया है और सहयोगियों के मन में सवाल उठाए हैं। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और अरविंद केजरीवाल ने पार्टी की रणनीति पर चिंता जताई।...

नेशनल डेस्क: हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा है। यह हार कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है, क्योंकि इससे न केवल पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है, बल्कि इंडिया गठबंधन में उसके सहयोगियों के मन में भी सवाल उठने लगे हैं। कई नेताओं ने इस हार को लेकर कांग्रेस की रणनीति और क्षमताओं पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। 

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम
हरियाणा के चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी भाजपा के सामने सीधी लड़ाई में असफल हो रही है। पिछले कुछ वर्षों में, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता विरोधी लहर का सामना किया है, लेकिन हरियाणा में यह स्थिति भी नहीं बदल सकी। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर रही है। वहां नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 में से 42 सीटें जीतकर अपनी ताकत साबित की, जबकि कांग्रेस ने केवल 6 सीटें हासिल की हैं। यह स्थिति यह दर्शाती है कि कांग्रेस को राज्य की राजनीति में अपनी खोई हुई ताकत को पुनः स्थापित करने के लिए लंबा रास्ता तय करना है। 

सहयोगियों के उठे प्रश्न
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद, उद्धव ठाकरे की शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस को कड़ी सलाह दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि जब भी कांग्रेस भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में आती है, तो वह कमजोर पड़ जाती है।  इसके अलावा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए बिना नाम लिए कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि हरियाणा के चुनावी नतीजों से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उनका बयान एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने अति आत्मविश्वास को हानिकारक बताया।

AAP के साथ गठबंधन का समर्थन
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन का समर्थन किया था, लेकिन स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप यह गठबंधन नहीं हो सका। यह निर्णय कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हुआ, क्योंकि सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से पार्टी की स्थिति को मजबूती मिल सकती थी।

आगामी चुनावों की चुनौतियाँ
हरियाणा में कांग्रेस की हार का असर अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है। आगामी विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में कांग्रेस को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इन राज्यों में सहयोगियों के साथ संवाद और मोलभाव करना कठिन हो सकता है। हरियाणा की हार ने कांग्रेस को कई जख्म दिए हैं। अब पार्टी के सामने यह सवाल है कि वह कैसे अपनी खोई हुई ताकत को फिर से प्राप्त कर सकती है। 

कांग्रेस के भविष्य पर सवाल
दिल्ली में, कांग्रेस ने अक्टूबर के अंत से एक यात्रा शुरू करने की योजना बनाई है। यह यात्रा कितनी सफल होती है, यह देखने वाली बात होगी। क्या आम आदमी पार्टी के साथ उनका गठबंधन संभव हो पाएगा या नहीं, यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है। कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और उन्हें अब नई ऊर्जा के साथ अगले चुनावों के लिए तैयार होना होगा। पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपनी रणनीति को सुधारें और भाजपा का सामना करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक मजबूत मोर्चा बनाएं। 

हरियाणा की हार ने कांग्रेस को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उन्हें अपनी कार्यप्रणाली और रणनीतियों में क्या बदलाव लाना चाहिए। इस स्थिति को सुधारने के लिए, पार्टी को न केवल अपने निर्णयों पर विचार करना होगा, बल्कि अपने सहयोगियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भी आवश्यकता है। कुल मिलाकर, यह हार कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण सीखने का अनुभव हो सकता है, यदि वे इसे सही दिशा में ले जाने में सफल होते हैं। उन्हें आत्ममंथन करने की आवश्यकता है ताकि वे भविष्य में एक मजबूत और प्रभावशाली विपक्ष के रूप में उभर सकें।

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