युवाओं के लिए चेतावनी:  'साइलेंट किलर' है हाई कोलेस्ट्रॉल, पहली बार भारत में जारी हुई गाइडलाइंस

Edited By Anu Malhotra,Updated: 05 Jul, 2024 12:53 PM

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युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामले के बीच भारत में पहली बार 'हाई कोलेस्ट्रॉल' को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गई। बता दें कि हार्ट डिजीज के कई बड़े कारण हैं जिनमें से एक प्रमुख हाई कोलेस्ट्रॉल है। जो हमारे जीनशैली को प्रभावित करता है। खानपान और...

नेशनल डेस्क: युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामले के बीच भारत में पहली बार 'हाई कोलेस्ट्रॉल' को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गई। बता दें कि हार्ट डिजीज के कई बड़े कारण हैं जिनमें से एक प्रमुख हाई कोलेस्ट्रॉल है। जो हमारे जीनशैली को प्रभावित करता है। खानपान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण शरीर में फैट या वसा की मात्रा बढ़ने को हाई  कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है।  यह फैट खून में जमा होने लगता है जिससे कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।  

बता दें कि भारत सहित दुनिया भर के हृदय रोग विशेषज्ञ यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के 2019 दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। अब, 22 सदस्यीय समिति, कार्डियोलगोशियल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने देश में डिस्लिपिडेमिया (हाई कोलेस्ट्रॉल) प्रबंधन के लिए 4 जुलाई को पहली बार दिशानिर्देश जारी किए। हाई कोलेस्ट्रॉल को पता लगाने के लिए एकमात्र तरीका है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट है। जो 25 साल की उम्र के बाद साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जरूरी है।

कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस  के मुताबिक अगर किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल है तो उसे सबसे पहले डॉक्टरों से दिखाना चाहिए। गाइडलाइंस के मुताबिक डॉक्टरों को स्टैटिन और नॉन-स्टेटिन दवाइयों से बीमारी की गंभीरता के अनुसार इलाज करना चाहिए। अगर इससे कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होता तो PCSK9 इंजेक्शन लगाना चाहिए। इसके अलावा Inclisiran, Fibrates, fish oil, lomatipide, Mipmersen आदि भी दिया जा सकता है। 
 
हाई कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स को आहार, व्यायाम और दवा से नियंत्रित किया जाता है।  

कैसे जानें, अपना लिपिड प्रोफ़ाइल ?
कुल कोलेस्ट्रॉल (लिपिड प्रोफ़ाइल) को  ब्लड टेस्ट के जरिए से मापा जाता है। एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता रक्त का एक छोटा सा नमूना लेता है, फिर कोलेस्ट्रॉल की कुल मात्रा निर्धारित करने के लिए प्रयोगशाला में नमूने का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल), उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल), और ट्राइग्लिसराइड्स का एक हिस्सा शामिल होता है।

 शरीर में कितना होना चाहिए कोलेस्ट्रॉल लेवल
दिशानिर्देशों के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल का न्यूनतम स्तर 100 मिलीग्राम/डीएल (मिलीग्राम चीनी प्रति डेसीलीटर) से कम होना चाहिए।

 कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, अगर किसी का हाई कोलेस्ट्रॉल ज्यादा है वह तत्काल प्रभाव से अपने दिनचर्या को बदले और हेल्दी रूटीन को फाॅलो करें। ऐसे में  उन्हें रोजाना एक्सरसाइज, डाइट में रोजाना ताजी हरी सब्जियां, फलीदार सब्जियां, ताजे फल, नट्स, सीड्स, साबुत अनाज, मछलियां, बेजिटेबल ऑयल, अंडा, चाय, कॉफी आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा सिगरेट, शराब, प्रोसेस्ड फूड, प्रोसेस्ड मीट, ज्यादा चीनी, ज्यादा नमक का सेवन बंद करना चाहिए।  

इन लोगों को हार्ट अटैक का अधिक खतरा
 दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को 2 साल के भीतर बार-बार होने वाली संवहनी घटनाएं (जैसे परिधीय धमनी रोग और एथेरोस्क्लेरोसिस) हुई हों, तो उन्हें हृदय रोग का अत्यधिक खतरा होता है।

20 वर्षों से अधिक समय से मधुमेह और आनुवंशिक प्रवृत्ति शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर के लिए उच्च जोखिम कारक हैं। विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि आनुवंशिक डिस्लिपिडेमिया (FH जीन का वाहक) भारत में 5 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है । "अगर हम एफएच के वाहक का पता लगा लें और उनका शीघ्र इलाज करें तो हम समाज में समय से पहले होने वाली हृदय रोग की रोकथाम कर सकते हैं।
 
ये लोग तुरंत बदले अपनी जीवनशैली
जिन व्यक्तियों में हाई ट्राइग्लिसराइड्स (150 मिलीग्राम/डीएल से अधिक), गैर एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल है, उन्हें तुरंत अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए और विशिष्ट उपचार पर रखा जाना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक पहली लिपिड प्रोफाइल 18 साल की उम्र में करानी चाहिए। चूंकि यह एक साइलेंट किलर है, इसलिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को 70 मिलीग्राम/डीएल एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) से कम का लिपिड प्रोफाइल बनाए रखना चाहिए।
 

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