Edited By Anu Malhotra,Updated: 09 Jan, 2025 03:51 PM
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व सर्जरी करके 19 साल के एक लड़के को नया जीवन दे दिया। इस लड़के के दिल में गंभीर बीमारी थी, जो उसे चलने-फिरने, सांस लेने और सामान्य जीवन जीने में मुश्किलें पैदा कर रही थी।
नेशनल डेस्क: दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व सर्जरी करके 19 साल के एक लड़के को नया जीवन दे दिया। इस लड़के के दिल में गंभीर बीमारी थी, जो उसे चलने-फिरने, सांस लेने और सामान्य जीवन जीने में मुश्किलें पैदा कर रही थी। 8 जनवरी को डॉक्टरों की एक टीम ने इस लड़के के बीमार दिल को निकालकर एक स्वस्थ 25 वर्षीय युवा का दिल ट्रांसप्लांट किया। यह सर्जरी दोपहर 2 बजे से शुरू होकर रात 3 बजे तक चली, और अब लड़का बिल्कुल ठीक है, उसका नया दिल पूरी तरह से काम कर रहा है।
हार्ट ट्रांसप्लांट की जटिल प्रक्रिया
डॉ. पुनीत अग्रवाल, हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन, ने बताया कि इस लड़के को राइट वेट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी थी, जिससे वह बचपन से ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा था। उसे एक स्वस्थ, युवा और मजबूत दिल की जरूरत थी, ताकि वह एक सामान्य जीवन जी सके। इस स्थिति में, यह ट्रांसप्लांट बेहद महत्वपूर्ण था। “हम पिछले 3-4 महीने से इस लड़के के लिए सही हार्ट का इंतजार कर रहे थे। कई बार हमने उसे बुलाया, लेकिन उसे दिल नहीं मिल पाया था। फिर 7 जनवरी को हमें यह सूचना मिली कि गंगाराम अस्पताल में एक दिल उपलब्ध है, लेकिन पहले कंसीडरेशन की वजह से यह दिल उस लड़के को नहीं मिल पाया। अंत में 8 जनवरी को हमें हार्ट ट्रांसप्लांट की अनुमति मिली और ऑपरेशन शुरू हुआ।”
सामूहिक प्रयास: ब्लड बैंक से ट्रैफिक विभाग तक
इस सर्जरी में न केवल डॉक्टरों का योगदान था, बल्कि ब्लड बैंक टीम, ट्रैफिक विभाग और अस्पताल प्रशासन का भी अहम रोल था। ट्रैफिक विभाग को ऑपरेशन के दौरान एक ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लिए सूचित किया गया ताकि हार्ट को जल्दी से जल्दी अस्पताल लाया जा सके और समय की कोई बर्बादी न हो। गंगाराम अस्पताल से हार्ट को राम मनोहर लोहिया अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने विशेष रूप से रास्ते को खाली कराया।
एक नई शुरुआत
रात को तीन बजे सर्जरी पूरी हुई और लड़के के शरीर में नया दिल धड़कने लगा। जैसे ही डॉक्टरों ने पुष्टि की कि ऑपरेशन सफल रहा है, लड़के के परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। “यह एक चमत्कार से कम नहीं था,” डॉ. पुनीत अग्रवाल ने कहा, “हमारे लिए यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, बल्कि एक जीवनदायिनी अवसर था, जिससे एक बच्चा अब न सिर्फ जीवन के प्रति अपने अधिकार को पा सकेगा, बल्कि उसकी ज़िंदगी में खुशी भी वापस आ सकेगी।”
सकारात्मक बदलाव: सरकारी अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण संभव
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस ऑपरेशन का खर्च निजी अस्पतालों में 60 से 70 लाख रुपये तक हो सकता है, लेकिन राम मनोहर लोहिया अस्पताल में यह सर्जरी सरकारी खर्च पर की गई। यह महत्वपूर्ण है कि आम लोग भी जानें कि ऐसे ऑपरेशन सरकारी अस्पतालों में भी संभव हैं, और इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता। यह सर्जरी न केवल एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने की कहानी है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सरकारी अस्पतालों में भी उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा मिल सकती है।