Edited By Mahima,Updated: 29 Jul, 2024 11:56 AM
ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते हमारे पर्यावरण में आ रहे बदलावों का सीधा असर हवाई यात्रा पर भी देखने को मिल रहा है। हाल ही में, देश के ऊंचे इलाकों में स्थित हवाई अड्डों, विशेषकर लेह एयरपोर्ट पर, गर्मी की वजह से उड़ानों के संचालन में कठिनाइयाँ सामने आई हैं।
नेशनल डेस्क: ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते हमारे पर्यावरण में आ रहे बदलावों का सीधा असर हवाई यात्रा पर भी देखने को मिल रहा है। हाल ही में, देश के ऊंचे इलाकों में स्थित हवाई अड्डों, विशेषकर लेह एयरपोर्ट पर, गर्मी की वजह से उड़ानों के संचालन में कठिनाइयाँ सामने आई हैं। यह बदलाव न केवल हमारे ट्रैवल प्लान को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि इसने स्थानीय एयरलाइनों की दिनचर्या को भी प्रभावित किया है।
लेह में फ्लाइट संचालन में परेशानी
गर्मियों के मौसम में लेह एयरपोर्ट पर कई बार उड़ानों के संचालन में दिक्कतें आई हैं। इस महीने जुलाई में, गर्मी की वजह से उड़ानों को रोकने की घटनाएं कई बार सामने आई हैं। बीते रविवार को लेह एयरपोर्ट पर इंडिगो की तीन और स्पाइसजेट की एक उड़ान रद्द कर दी गई। इससे पहले शनिवार को भी एक घटना हुई थी, जब दिल्ली से आई एक फ्लाइट लैंड नहीं कर पाई। लेह में उस दिन तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया था, जो इस क्षेत्र के लिए असामान्य रूप से गर्म था।
लद्दाख में मौसम का फ्लाइट्स पर असर
लेह और लद्दाख का हवाई अड्डा 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां वायुमंडल की परिस्थितियां दिल्ली से पूरी तरह अलग हैं। यहां की हवा में उमस नहीं होती और हवा बहुत हल्की होती है। इसके अलावा, कम ऑक्सीजन और सूखा मौसम उड़ानों की पावर को प्रभावित करता है। इन परिस्थितियों में, विमानों को उड़ान भरने के लिए आवश्यक पावर प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है, जिससे उड़ानों को स्थगित करना पड़ता है।
दिल्ली में फ्लाइट्स पर असर क्यों नहीं होता?
दिल्ली में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है, लेकिन यहां की हवा में पर्याप्त उमस होती है, जिससे उड़ानों को संचालन में कोई विशेष दिक्कत नहीं आती। उमस के कारण हवा भारी होती है, जो विमानों की उड़ान को सहायता प्रदान करती है। इसके विपरीत, लेह-लद्दाख की स्थिति में गर्मी और हल्की हवा मिलकर विमानों के संचालन को प्रभावित करती हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
27 जुलाई को लेह एयरपोर्ट पर चार फ्लाइट्स रद्द की गईं, और जब तापमान कम हुआ तब ही विमानों ने उड़ान भरी। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते लेह का तापमान बढ़ता जा रहा है, जिससे भविष्य में यहां विमानों का संचालन और भी कठिन हो सकता है। लेह में उड़ानों के संचालन के लिए आदर्श परिस्थितियां सामान्य रूप से ठंडा और सूखा मौसम हैं, इसलिए तापमान का कम होना महत्वपूर्ण है।
उपाय और सुझाव
इस स्थिति को देखते हुए, एयरलाइनों और स्थानीय प्रशासन को हवाई यात्रा की योजना बनाते समय मौसम के पूर्वानुमान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यात्रियों को भी एयरलाइनों की तरफ से दी गई सूचना और सलाह को ध्यान में रखते हुए अपने यात्रा योजनाओं को समायोजित करने की सलाह दी जाती है। ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों से निपटने के लिए लंबे समय में स्थायी समाधान की आवश्यकता है। इसमें शामिल है पर्यावरणीय सुधार और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को मजबूत करना, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना कम से कम किया जा सके।