Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Mar, 2025 10:34 AM

भारत में इस साल अल नीनो के आने की संभावना है, जिससे एक बार फिर भीषण गर्मी और पानी की कमी का संकट गहरा सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से अप्रैल, मई और जून के महीनों में भारत में असहनीय गर्मी का कारण बन सकती है।
नेशनल डेस्क: भारत में इस साल अल नीनो के आने की संभावना है, जिससे एक बार फिर भीषण गर्मी और पानी की कमी का संकट गहरा सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से अप्रैल, मई और जून के महीनों में भारत में असहनीय गर्मी का कारण बन सकती है। 2023 में जो भयंकर सूखा और पानी की कमी देखने को मिली थी, वह फिर से आने की आशंका है। इस खबर में हम आपको अल नीनो के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, साथ ही इसके असर को लेकर क्या कदम उठाए जा सकते हैं, यह भी बताएंगे।
अल नीनो क्या है और यह कैसे काम करता है?
अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जो तब होती है जब पूर्वी प्रशांत महासागर का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। इसका असर मौसम के पैटर्न पर पड़ता है, जिससे वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गर्मी और सूखा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अल नीनो की स्थिति में, भारत और अन्य एशियाई देशों में गर्मी की लहरें, फसल की विफलता और जल संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
2025 में अल नीनो के आने की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अल नीनो के प्रभावी होने की 50/50 संभावना है। अगर यह सच होता है, तो भारत में गर्मी का स्तर काफी बढ़ सकता है। भारत, अफ्रीका, बांग्लादेश, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को इस वर्ष भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। इससे न सिर्फ तापमान बढ़ेगा, बल्कि पानी की कमी और कृषि संकट भी हो सकता है।
गर्मी की लहर और इसके प्रभाव
अल नीनो के प्रभाव से भारत में गर्मी की लहरें बहुत तीव्र हो सकती हैं। अप्रैल, मई और जून के महीनों में यह गर्मी असहनीय हो सकती है, जिससे लोग राहत के लिए हवा या पानी के साधनों की तलाश करेंगे। जलवायु परिवर्तन के कारण, इस तरह के चरम मौसम की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं, और इसका असर लाखों लोगों की ज़िंदगी पर पड़ता है। गर्मी का असर स्वास्थ्य, कृषि और जल आपूर्ति पर भी गहरा पड़ सकता है।
क्या कदम उठाने होंगे?
अल नीनो के असर से बचने के लिए हमें कुछ सावधानियां बरतनी होंगी। सबसे पहला कदम यह है कि हमें हाइड्रेटेड रहना होगा। शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, गर्मी के समय में बाहर जाने से बचना चाहिए, खासकर दोपहर के समय जब सूर्य की किरणें सबसे तेज होती हैं। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को भी इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। जल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाएं और कृषि के लिए सहायता प्रदान करने के लिए त्वरित कदम उठाए जाने चाहिए।
जलवायु परिवर्तन और स्थायी समाधान की आवश्यकता
गर्मी की इन लहरों के कारण जलवायु परिवर्तन की गंभीरता और बढ़ गई है। यह स्थिति हमें स्थायी समाधानों की ओर बढ़ने की आवश्यकता की याद दिलाती है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए हमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए काम करना होगा।