Edited By Rahul Rana,Updated: 04 Dec, 2024 12:55 PM
आज के समाज में जहां बुजुर्गों को उनके बच्चों का सहारा और प्यार मिलता है वहीं कुछ वृद्ध ऐसे भी हैं जिनकी जिंदगी में अपनों ने ही साथ छोड़ दिया। ऐसा ही एक उदाहरण मेरठ जिले के मोहल्ला सुभाष नगर में रहने वाले 90 वर्षीय कालीचरण का है। कालीचरण जी आज भी...
नॅशनल डेस्क। आज के समाज में जहां बुजुर्गों को उनके बच्चों का सहारा और प्यार मिलता है वहीं कुछ वृद्ध ऐसे भी हैं जिनकी जिंदगी में अपनों ने ही साथ छोड़ दिया। ऐसा ही एक उदाहरण मेरठ जिले के मोहल्ला सुभाष नगर में रहने वाले 90 वर्षीय कालीचरण का है। कालीचरण जी आज भी सड़क किनारे बच्चों की हाथ गाड़ी और खिलौने बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह उनका पेशा नहीं बल्कि मजबूरी है।
40 साल पहले छूटा था परिवार
कालीचरण जी के जीवन का दर्द भी बड़ा ही गहरा है। उन्होंने बताया कि लगभग 40 साल पहले उनकी पत्नी मुन्नी देवी और उनका इकलौता बेटा भोलाराम उन्हें छोड़कर दिल्ली चले गए थे। इस घटना के बाद से वह अकेले ही जीवन जी रहे हैं। कालीचरण जी को अब इस उम्र में अपने दो पोते याद आते हैं, जिनसे वह अपने बचे हुए दिन खुशियों के साथ बिताना चाहते हैं लेकिन अपनों का साथ नहीं होने के कारण उनका यह सपना अधूरा है।
अकेलेपन से जूझते हुए जीवन जी रहे हैं कालीचरण
कालीचरण जी ने बताया कि पहले वह पशुपालन करते थे और गांव-गांव फेरी लगाकर कबाड़ का कारोबार करते थे। इसके अलावा उन्होंने चौकीदारी का काम भी किया था ताकि परिवार का पेट पाला जा सके लेकिन अब 90 साल की उम्र में उनका शरीर साथ नहीं देता जिससे वह अपने जीवन का खर्च बच्चों की हाथ गाड़ी और खिलौने बेचकर चलाते हैं।
सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
हालांकि कालीचरण जी ने कई बार सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन किया जैसे वृद्धावस्था पेंशन, राशन कार्ड, आवास आदि, लेकिन किसी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल सका। उनका कहना है कि समाजसेवियों ने भी कभी उनकी मदद नहीं की और कई बार तो उन्हें खिलौनों की बिक्री न होने पर भूखा भी सोना पड़ता है। बावजूद इसके कालीचरण जी के दिल में संघर्ष की भावना अभी भी जीवित है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितनी भी कठिनाइयां आईं उन्होंने कभी हार नहीं मानी और भगवान पर अटूट विश्वास बनाए रखा। यही विश्वास उनके जीने की शक्ति है।
अकेलेपन के बावजूद मजबूत इरादे
कालीचरण जी का कहना है कि इस उम्र में भी वह खुद को कमजोर महसूस नहीं करते और जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। हालांकि उन्होंने इस दुख का भी जिक्र किया कि समाज और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही लेकिन उनकी जिंदगी में उम्मीद की किरण यह है कि वह संघर्ष करते हुए अपना जीवन जी रहे हैं।
कालीचरण जी की कहानी से हमें क्या सिखने को मिलता है?
कालीचरण जी की कहानी एक गहरी सीख देती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं अगर अंदर से विश्वास और संघर्ष की भावना हो तो कोई भी मुसीबत आपको तोड़ नहीं सकती। वहीं इस कहानी से यह भी स्पष्ट होता है कि वृद्धावस्था में सरकार और समाज का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। अगर सरकार की योजनाएं समय पर सही लोगों तक पहुंचें और समाज में हर किसी के लिए मदद का हाथ बढ़े तो बहुत से वृद्धों को अपनी उम्र के इस कठिन दौर में राहत मिल सकती है।