Edited By Rahul Rana,Updated: 12 Dec, 2024 03:23 PM
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है। यह कानून 2021 में राज्य सरकार ने कैबिनेट में पारित किया था जिसमें कहा गया था कि निजी कंपनियां 40,000...
नॅशनल डेस्क। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है। यह कानून 2021 में राज्य सरकार ने कैबिनेट में पारित किया था जिसमें कहा गया था कि निजी कंपनियां 40,000 रुपये तक वेतन वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय युवाओं को देंगी।
क्या था विवाद?
झारखंड लघु उद्योग संघ ने इस कानून को चुनौती दी थी। संघ का कहना था कि यह कानून संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि संविधान सभी नागरिकों को रोजगार में समानता का अधिकार देता है। संघ ने आरोप लगाया कि यह कानून राज्य और अन्य राज्यों के उम्मीदवारों में भेदभाव करता है। उनका कहना था कि राज्य सरकार निजी कंपनियों को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वे किसे रोजगार दें।
कोर्ट का आदेश
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने लघु उद्योग संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई 20 मार्च 2024 को तय की। इस आदेश के बाद राज्य सरकार को इस मामले में अपना पक्ष अदालत में रखना होगा।
झारखंड राज्य रोजगार अधिनियम 2021
झारखंड विधानसभा ने सितंबर 2021 में इस कानून को पारित किया था। इसके तहत निजी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को अपनी 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय उम्मीदवारों को देनी होती हैं अगर वेतन 40,000 रुपये या उससे कम है। कानून के मुताबिक स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति में जिले के विस्थापित लोग और समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना होगा।
अधिनियम का उद्देश्य
इस कानून का उद्देश्य झारखंड के युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में अधिक अवसर प्रदान करना था। राज्य सरकार का मानना था कि यह कानून स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर देने में मदद करेगा और राज्य के विकास में योगदान करेगा।
आगे की स्थिति
अब हाईकोर्ट ने इस कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च 2024 को होगी जब कोर्ट इस पर फिर से विचार करेगा।