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हाईकोर्ट ने लिया एग्जाम, 99 में से एक भी जज नहीं हो सके पास, जानिए क्या था एग्जाम फॉर्मेट?

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 10 Apr, 2025 12:42 PM

high court took the exam not even one out of 99 judges could pass

राजस्थान हाई कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज के प्रमोशन के लिए लिमिटेड कॉम्पिटिटिव एग्जाम आयोजित किया। इस एग्जाम में प्रदेश के 99 सीनियर सिविल जज पात्र थे, लेकिन परिणाम हैरान करने वाला रहा—एक भी उम्मीदवार पास नहीं हो सका।

नेशलन डेस्क: राजस्थान हाई कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज के प्रमोशन के लिए लिमिटेड कॉम्पिटिटिव एग्जाम आयोजित किया। इस एग्जाम में प्रदेश के 99 सीनियर सिविल जज पात्र थे, लेकिन परिणाम हैरान करने वाला रहा—एक भी उम्मीदवार पास नहीं हो सका। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि कोई भी कैंडिडेट उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया जो डिस्ट्रिक्ट जज बनने के लिए जरूरी है।

क्या था एग्जाम का फॉर्मेट और किसके लिए था?

यह परीक्षा डिस्ट्रिक्ट जज बनने के लिए थी लेकिन यह ओपन भर्ती नहीं थी। इसे लिमिटेड कॉम्पिटिटिव एग्जाम कहा जाता है जिसमें केवल पहले से सेवा में कार्यरत वरिष्ठ जज ही शामिल हो सकते हैं। इसके लिए हाई कोर्ट ने 9 जुलाई 2024 को नोटिफिकेशन जारी किया था। इस परीक्षा में केवल वही सीनियर सिविल जज हिस्सा ले सकते थे, जिनकी न्यूनतम सेवा अवधि 5 वर्ष पूरी हो चुकी हो। हाई कोर्ट के मुताबिक कुल 99 सीनियर सिविल जज इस परीक्षा के लिए योग्य थे।

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कितनी वैकेंसी थीं और कब हुआ एग्जाम?

यह परीक्षा राजस्थान में डिस्ट्रिक्ट जज के 45 पदों को भरने के लिए आयोजित की गई थी। इनमें से:

परीक्षा की प्रक्रिया दो चरणों में हुई:

  • प्रीलिम एग्जाम: 24 नवंबर 2024 को

  • रिटेन टेस्ट: 8 और 9 मार्च 2025 को

प्रीलिम में 46 कैंडिडेट्स को रिटेन टेस्ट के लिए चुना गया था। लेकिन जब 8 अप्रैल 2025 को रिजल्ट जारी हुआ, तो हाई कोर्ट ने बताया कि कोई भी उम्मीदवार न्यूनतम योग्यता स्तर को नहीं छू सका।

हाई कोर्ट ने क्यों किया रिजेक्ट?

हाई कोर्ट का कहना है कि कोई भी कैंडिडेट उस “स्टैंडर्ड” तक नहीं पहुंच पाया, जो एक डिस्ट्रिक्ट जज बनने के लिए जरूरी है। इसका मतलब यह हुआ कि या तो कैंडिडेट्स की तैयारी में कमी थी या फिर सेलेक्शन प्रोसेस की कठिनाई और सख्ती को बढ़ा दिया गया है।

क्या यह जजों की योग्यता पर सवाल है?

इस नतीजे ने एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। ये वही जज थे जो पहले से न्यायिक सेवाओं में काम कर रहे थे। वे नए नहीं थे, अनुभव रखते थे और सिस्टम से परिचित थे। फिर भी, 99 में से एक भी पास नहीं हो सका।
इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या न्यायिक सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों की स्किल्स और नॉलेज वाकई उस स्तर की नहीं है जिसकी कोर्ट को आवश्यकता है? या फिर दूसरी तरफ, क्या यह दर्शाता है कि राजस्थान हाई कोर्ट अपने जजों के चयन में कठोर मानकों को अपनाना चाहता है, ताकि न्याय की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो?

डिस्ट्रिक्ट जज की कुर्सी तक पहुंचना कितना मुश्किल?

डिस्ट्रिक्ट जज बनना सिर्फ एक पद पाना नहीं है, यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। यह देश की न्याय व्यवस्था में एक केंद्रीय भूमिका निभाने वाला पद है। ऐसे में हाई कोर्ट का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब प्रमोशन सिर्फ अनुभव के आधार पर नहीं, बल्कि काबिलियत और गुणवत्ता के आधार पर मिलेगा।

 

 

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