Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Jan, 2025 03:05 PM
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नेशनल डेस्क: सीबीआई की अदालत ने 2017 में हिमाचल प्रदेश शिमला जिले के कोटखाई में हुए गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले से जुड़े सूरज लॉकअप हत्याकांड में आठ पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। इन सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और एक-एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। इन दोषियों में हिमाचल प्रदेश के आईजी जहूर हैदर जैदी और डीएसपी मनोज जोशी समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं।
आजीवन कारावास के बावजूद हंसते रहे जैदी, अन्य दोषियों की आंखों में आंसू
सजा सुनाए जाने के बाद, आईजी जैदी अदालत में हंसते हुए नजर आए, जबकि अन्य दोषी रोते हुए थे। सभी दोषियों को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल भेज दिया गया है। जुर्माना एक महीने में न भरने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इस मामले में हिमाचल प्रदेश में पहली बार एसआईटी टीम के सभी सदस्यों को उम्रकैद की सजा हुई है।
दोषियों के नाम और सजा की धाराएं
दोषियों में आईजी जहूर हैदर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा शामिल हैं। अदालत ने उन्हें आईपीसी की कई धाराओं के तहत सजा सुनाई, जिसमें हत्या, उत्पीड़न, और प्रमाणों को नष्ट करने के आरोप शामिल हैं।
किस तरह हुई थी सूरज की मौत
4 जुलाई 2017 को कोटखाई में एक 16 वर्षीय छात्रा गुड़िया का शव मिला था। उसकी हत्या और दुष्कर्म के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया। सूरज, जो नेपाली मूल का था, भी इनमें शामिल था। उसे पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान मारपीट की वजह से मौत हो गई थी। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच की और सभी दोषियों के खिलाफ हत्या और उत्पीड़न के आरोप तय किए।
शिमला में हुआ था बवाल, सीबीआई ने की जांच
गुड़िया की हत्या के बाद इलाके में भारी विरोध हुआ था। 18 जुलाई 2017 को सूरज की मौत के बाद जनता ने थाने में आकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। अगस्त 2017 में सीबीआई ने आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी और अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद जारी रहा ट्रायल
आईजी जहूर जैदी को 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन मामले का ट्रायल जारी रहा। 2020 में भाजपा सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया, लेकिन 2023 में कांग्रेस सरकार ने उनकी सेवाएं बहाल कर दीं। सितंबर 2023 में उन्हें पुलिस मुख्यालय में आईजी के पद पर तैनात किया गया।
गुड़िया हत्याकांड में भी दोषी करार किया गया था नीलू
गुड़िया के मामले में भी एक आरोपी, नीलू, को 2021 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सीबीआई ने उसे 2018 में गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस ने सूरज और अन्य छह आरोपियों को निर्दोष पाया।